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निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबल 2024नमूना

निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबल 2024

दिन 4 का 366

युद्ध और आशीषें



मैं कभी भी उस बात को नहीं भूल सकता जिसे मैंने 30 साल पहले सुना था. वक्ता ने यह कहकर शुरू किया था कि मसीही जीवन ‘युद्ध और आशीष हैं, युद्ध और आशीष, युद्ध और आशीष, युद्ध और आशीष, युद्ध और आशीष, युद्ध और आशीष, युद्ध और आशीष..... युद्ध और आशीष....’

उस समय मैंने सोचा ‘वह ऐसा क्यों कह रहे हैं? क्या कभी खत्म नहीं होगा?’ लेकिन वह इसे एक यादगार और गंभीर मुद्दा बना रहे थे. जब हम युद्ध में होते हैं तो यह विश्वास करना मुश्किल हो जाता है कि यह कभी खत्म नहीं होगा. जब हम आशीष के समय में होते हैं, तो कभी कभी हम उम्मीद करते हैं कि यह सदा चलता ही रहेगा. लेकिन जीवन ऐसा नहीं है. यहाँ युद्ध और आशीषें हैं.

रिक वारेन कहते हैं कि वह सोचा करते थे कि मसीही जीवन युद्ध और आशीषों का एक सिलसिला है, जबकि अब वह सोचते हैं कि जीवन जैसे दो पटरियों पर है. जीवन में किसी भी समय पर सामान्य तौर पर आशीषें हैं, लेकिन हमें युद्ध का सामना भी करना पड़ता है.

उसने एक बहुत बड़ी आशीष का उदाहरण दिया जो उन्हें *परपस ड्रिवेन लाइफ* के प्रकाशन द्वारा मिली, जो अब तक की सबसे तेज बिकनेवाली क्रिश्चियन किताब है. इस किताब ने उसे अत्यधिक प्रभाव दिया. लेकिन उसी समय उसने देखा कि उनकी पत्नी को कैंसर हो गया है. उनके जीवन की एक पटरी पर महान आशीष थी; और दूसरी पटरी पर उसे विशाल युद्ध का सामना कर पड़ रहा था.

नीतिवचन 1:1-7



युद्ध में परिचालन करना सीखें


नीतिवचन की पुस्तक का उद्देश्य आरंभ में ही बताया गया है: ‘ये बुद्धि के वचन हैं..... जिन्हें अच्छे से और सही से जीने के लिए लिखा गया है...... जीने के लिए एक नियम पुस्तिका, यह सीखने के लिए कि क्या न्यायोचित है और क्या सही है’ (वव. 1-3 एमएसजी). यह हरएक के लिए ‘अनुभवी’ और ‘अनुभवहीन’ लोगों के लिए व्यवहारिक बुद्धि प्रदान करता है (वव. 4-6, एमएसजी).


यह जीवन आपको बताता है कि सामान्य रूप से जीवन कैसे कार्य करता है. सामान्य रूप से कहा जाए, तो लोग भक्तिमय, नैतिक और कठिन परिश्रम करनेवाले हैं जो प्रतिफल और आशीषों को पैदा करते हैं, लेकिन धरती पर इसकी कोई गारंटी नहीं है. नीतिवचन क्रमादेश और बुद्धिपूर्ण सुझाव हैं जिन्हें पूरे जीवन के अनुभव से सीखा गया है.


ये आपको ‘बुद्धि और अनुशासन’ प्राप्त करने में मदद करते हैं (वव. 2,7) – जीवन के दो महत्वपूर्ण पहलू जो रातों रात उत्पन्न नहीं होते.


इस पुस्तक का उद्देश्य ‘आपकी विद्या को सही तरीके से निर्देशित करने में’ आपको सक्षम बनाना है (व. 5, एमपी). बुद्धि जीवन के युद्ध और आशीषों के ‘परिचालन की एक कला है’ और आप खुद को चाहें किसी भी स्थिति में क्यों न पाएं उसमें कुशलतापूर्वक जीने की एक कला है. जैसा कि जॉयस मेयर कहती हैं, ‘बुद्धि’, ‘वह करने का फैसला करना है जिससे आप बाद में खुश रह सकें’.


बुद्धि का आरंभ ‘परमेश्वर के भय’ से होता है, जो कि ‘बुद्धि का मूल है’ (व. 7अ). प्रभु के ‘भय’ को ‘आदर’ के रूप में कहा जा सकता है. इसका मतलब है प्रभु का परमेश्वर के रूप में आदर और सम्मान करना. जीवन के बारे में सबसे महत्वपूर्ण सीख जो आप सीख सकते हैं, वह ‘परमेश्वर से आरंभ’ होती है (व. 7अ, एमएसजी).



प्रभु, आनेवाले युद्ध और आशीषों में परिचालन सीखने में आप मेरी मदद कीजिये.


मत्ती 4:1-22



सीखें कि यीशु ने युद्ध और आशीषों से कैसे निपटा था


यीशु की सेवकाई उनके बपतिस्मा पर पवित्र आत्मा की आशीष से आरंभ होती है, लेकिन जैसा कि पवित्र आत्मा के महान अनुभव के बाद अक्सर होता है, इसके तुरंत बाद युद्ध आता है.


‘तब उस समय आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि इबलीस से उसकी परीक्षा हो’ (4:1, एमएसजी). परीक्षा वचनों शब्दों से शुरू होती है, ‘यदि तू परमेश्वर का पुत्र है......’ (वव. 3,6). शैतान यीशु की परीक्षा ले रहा था उनकी पहचान को चुनौती देने के लिए और इस तरह से उनके पिता की परीक्षा करने के लिए. कभी कभी शैतान हमारे पास आकर कहता है, ‘यदि तुम मसीही हो, तो आप दूसरों से बेहतर हैं.’ या, ‘जब परमेश्वर हरचीज को क्षमा करते हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप चाहें कैसे जीते हैं’. यीशु के उदाहरण द्वारा प्रतिक्रिया करें.


यीशु ने तीन शक्तिशाली परीक्षाओं का सामना किया:


1. शीघ्र संतुष्टी (आर्थिक)


कुछ चीजें हैं जो तुरंत मान ली जाती हैं लेकिन बाद में आपको खालीपन महसूस होता है.


यीशु ने चालीस दिन और चालीस रात तक उपवास किया था. ‘जिसने उन्हें अत्यधिक भूख की स्थिति में पहुँचा दिया, जिसका फायदा शैतान ने पहली परीक्षा में उठाया’ (वव. 2ब-3अ, एमएसजी). वह यीशु से कहता है, ‘यदि तू परमेश्वर का पुत्र है तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियां बन जाएं’ (व.3ब).


यीशु ने उत्तर दिया, ‘लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परंतु हरएक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा’ (व.4). भौतिक चीजें पूरी तरह से कभी संतुष्टी नहीं दे सकतीं.


एक गंभीर आत्मिक भूख है जिसे केवल ‘उस वचन से संतुष्ट किया जा सकता है जो परमेश्वर के मुख से निकलता है’ (व.4). हमें नियमित शारीरिक भोजन के बजाय नियमित आत्मिक भोजन की ज्यादा जरूरत है.


2. परमेश्वर की परीक्षा लेना (धार्मिक)


अगला, शैतान ने यीशु के समक्ष चुनौती रखी कि वह खुद को मंदिर के कंगुरे से गिरा दे. अन्य बातों की तरह, कुछ नाटकीय करना भी एक परीक्षा है (हाँलाकि यह फलदायी नहीं है) ध्यान आकर्षित करने के लिए.


शैतान ने यीशु को भजन संहिता 91 के उद्धरण से प्रेरित किया, लेकिन यह वचन इस विषय से बाहर. यीशु ने उस वचन से जवाब दिया जो कि इस संदर्भ में है.


3. गलत अर्थ (राजनीतिक)


तीसरा, शैतान ने यीशु को दुनिया का सारा राज्य दिखाया और उन्हें प्रस्तावित किया, ‘यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा’ (मत्ती 4:8-9). यह परीक्षा खुद को परमेश्वर से असंतुष्ट करने के लिए है और अंतिम लक्ष्य को पाने के लिए गलत अर्थों द्वारा विवेकहीन (अनैतिक) धोखेबाजी के कार्यक्रम में शामिल करना है. यीशु ने जवाब दिया: ‘हे शैतान, दूर हो जा!’ उसने इसका पुष्टिकरण व्यवस्थाविवरण के तीन उद्धरण से किया: ‘तू अपने प्रभु परमेश्वर को प्रणाम कर और केवल उसी की उपासना कर’ (व. 10).


हरएक परीक्षा के लिए यीशु ने व्यवस्थाविवरण के 6- अध्यायों 8 वचनों से उत्तर दिया. शायद उस समय वह इन अध्यायों का अध्ययन कर रहे थे. जब आप बाइबल का अध्ययन करेंगे तो यह परमेश्वर के चरित्र को और आपके प्रति उनके प्रेम को प्रकट करता है और उनके साथ आपके संबंध को और भी गहरा करता है. यह शैतान के झूठ से आपको बचाता है और लालसा आने पर इसका विरोध करने के लिए आपको तैयार करता है और आपकी मदद करता है.


इन युद्ध के अंत में, ‘यीशु ने स्वर्गदूतों के आशीष का आनंद उठाया जो आकर यीशु की जरूरतों को पूरा करने लगे’ (व. 1.1, एमएसजी). आशीष का समय ज्यादा देर तक नहीं चलता. यीशु ने सुना कि युहन्ना कैद में है (व. 12). अपने प्रचार के लिए अपने चचेरे भाई को पता लगाना यीशु के लिए कष्टदायक रहा होगा.


यीशु भयभीत नहीं हुए. वह भी उसी संदेश का प्रचार करने लगे जिसकी वजह से युहन्ना को कैद हुई थी: ‘मन फिराओ, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट है’ (व. 17). युद्ध के समय में वह निडर और साहसी थे.


जीवन का मतलब आक्रमण के समय सिर्फ रक्षात्मक रहना नहीं है; हमें आगे कदम रखना भी जरूरी है. यीशु एक मिशन पर थे. अपने पहले शिष्यों को बुलाते हुए वह अपने दल को बनाने लगे, ‘यीशु ने उनसे कहा, “मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम्हें मनुष्यों को पकड़नेवाला बनाऊँगा,” वे तुरंत जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिये’ (वव 19020 एमएसजी). ये रोमांचक समय था. यीशु की सेवकाई की शुरुवात महान आशीष का समय था.



प्रभु, युद्ध और आशीष में यीशु के आदर्शों का अनुसरण करने में मेरी मदद कीजिये. मैं वचन को सीखना चाहता हूँ ताकि मैं परीक्षा का सामना कर सकूँ और यीशु के संदेश का प्रचार करने में साहसी बन सकूँ.


उत्पत्ति 7:1-9:17



सीखें दूसरों ने युद्ध और आशीषों को कैसे जीता है


मसीही सकारात्मक लोग होने चाहिये. हम इस पद्यांश में देखते हैं कि, जब हम पूरी बाइबल पढ़ लेते हैं, तो ये आशीषें युद्ध को महत्वपूर्ण साबित करती हैं. चार बड़े विषयों में से जो इस पद्यांश से गुजरता है (और संपूर्ण बाइबल में से) उसमे से केवल एक ही नकारात्मक है (पतन जो युद्ध का कारण होता है). बाकी के सभी तीन सकारात्मक आशीष के बारे में है.


1. सृष्टि


मनुष्य को परमेश्वर के स्वरूप में बनाया गया है (9:6ब). सभी मानव जीवन के बारे में उत्कृष्टता और प्रतिष्ठा है. इसलिए दूसरे व्यक्ति का जीवन लेने का परिणाम बहुत गंभीर होता है (वव. 5,6). सभी मनुष्यों के साथ आदर और सम्मान से पेश आएं.


2. पतन


नूह ने प्रमुख युद्ध – बाढ़ और लगभग सारी मानव जाति के विनाश का सामना किया! चालीस दिन और चालीस रात तक बरसात होती रही (7:4) (यीशु की परीक्षा जितना समय). पाप की गंभीरता के कारण परमेश्वर का दंड आया: ‘यद्यपि मनुष्य के मन में बचपन से जो कुछ उत्पन्न होता है सो बुरा ही है’ (8:21).


3. मुक्ति (छुटकारा)


बाढ़ के युद्ध के बावजूद, नूह ने परमेश्वा के प्रेम की आशीष का आनंद उठाया. जबकि नूह और उसके साथ जो भी नाव में थे वे बच गए (7:23). नये नियम के लेन्स द्वारा हम देखते हैं कि नाव मसीह में बपतिस्मा पाने का एक प्रतीक है (1पतरस 3:18 से आगे देखें). जो नाव में थे वे सुरक्षित थे. जो मसीह में हैं वे सुरक्षित हैं.


परमेश्वर ने नूह और उसके बेटों को आशीष दी. उन्होंने कहा ‘फूलो-फलो, और बढ़कर पृथ्वी में भर जाओ. (उत्पत्ति 9:1 एमएसजी).


4. महिमा


परमेश्वर ने उनसे वाचा बांधी (व. 9). तुम जब भी इंद्र धनुष देखोगे (व.13) यह तुम्हारे साथ परमेश्वर की वाचा की याद दिलाएगा, जिसने अंत में क्रूस तक पहुँचने में मदद की – नये नियम का लहू. यह ‘अनंत के साथ सदा रहने वाली वाचा है (व. 16).



प्रभु, धन्यवाद कि आखिरकार आपकी आशीषें युद्ध पर पूरी तरह से महत्वपूर्ण साबित होंगी. मुझे हमेशा यह याद दिलाने में मदद कीजिये कि मेरा प्रकाश और क्षण भर का युद्ध मेरे लिए अंनत महिमा की उपलब्धि है जो उन्हें महत्वपूर्ण साबित कर देंगी (2कुरिंथियों 4:17).


Pippa Adds



उत्पत्ति 7:8


नूह काफी बूढ़ा हो चुका था (600 साल का!) जब उसने जीवन का काम करना शुरु किया. आप चाहें कितने भी बूढ़े क्यों न हो – अब भी देरी नहीं हुई है.



References



जॉयस मेयर, 100 वेज़ टू सिम्पलीफाइ योर लाइफ, (फेथवर्ड्स, 1987) पन्ना 152

जिन वचनों को (एएमपी) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
दिन 3दिन 5

इस योजना के बारें में

निक्की गम्बेल के साथ एक साल में बाईबल 2024

यह योजना एक वाचक को पुरे साल में प्रति दिन वचनों की परिपूर्णता में, पुराने नियम, नये नियम, भजनसंहिता और नीतिवचनोंको पढ़ने के सात सात ले चलती हैं ।

हम इस योजना को प्रदान करने के लिए Nicky & Pippa Gumbel को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: bible.alpha.org/hi/

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