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परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 3- राजवंशजों का राज)Sample
एस्तेर,फारस की रानी
अश्शूर और बेबीलोन द्वारा कब्ज़ा किये जाने के बाद सभी यहूदी तितर बितर हो गये। लेकिन राजा साइरस उन्हें वापस जाने की आज्ञा देता है। पहला दस्ता यरूब्बाबेल की अगुवाई में 536 ई.पू यरूशलेम में वापस आता है। बाकि के लोग प्रवासी बनकर रहने का ही चुनाव करते हैं। इस कहानी में दर्शाया गया है कि किस प्रकार फारस के राज्य काल में परमेश्वर का हाथ यहूदियों के ऊपर बना रहा।
रानी एस्तेर उसी गुलामी के दौरान राज्य करने लगती है। उसकी कहानी एक सिन्ड्रेला की कहानी थी जो एक अनाथ लड़की थी और बाद में जिसका विवाह क्षयर्ष राजा से हो गया, जो उस समय पर सबसे शक्तिशाली सम्राज्य फारस का राजा था।
रानी वशती का गद्दी से उतारा जाना एक विवादित घटना है। मुख्य बात यह है कि परमेश्वर ने इस देश की अगुवाई करने के लिए अपने लोगों का चुना।
परमेश्वर की योजना
परमेश्वर की निगाहें सर्वदा अपने लोगों पर लगी रहती है जैसा कि लिखा है“क्योंकि जो कोई तुम को छूता है,वह मेरी आंख की ही पुतली को छूता है”(जकर्याह 2:8)। जिस समय पर परदेशी राजा इस्राएल पर कब्ज़ा किये हुए थे,परमेश्वर ने उन राजाओं पर कब्ज़ा कर रखा था। (नीति 21:1)। जातियां इस्राएल के परमेश्वर से डरती थीं जैसा कि हामान की पत्नी भी कहती है जो कोई इस्राएल पर आक्रमण करेगा वह अपने मुंह की खाएंगा (एस्तेर 6: 13-14)।
शैतान का नाश
शैतान परमेश्वर के लोगों को नष्ट करने की योजना बनाता है। यहूदी जाति वर्षों से इस बात की गवाह है- अर्थात राज्य के विभाजित होने से लेकर 1945 के होलोकॉस्ट तक जिसमें 60 लाख यहूदियों को मार दिया गया था। यह लड़ाई अभी तक जारी है।
एस्तेर का संकल्प
वहः
* निर्विवाद आज्ञाकारिता – मोर्देकै,परमेश्वर द्वारा प्रेरित उसका चचेरा भाई,और हाग्गै के प्रति।
* अटल विश्वास-मृत्यु की कगार तक,अपनी जाति के लोगों के लिए खड़े होने का
* अडिग संकेन्द्रता- अन्त तक सुरक्षा को देखती है। (एस्तेर 9)
मोर्दकै का हस्तक्षेप
मोर्दकै ने एस्तेर को चेतावनी दी “क्योकि जो तू इस समय चुपचाप रहे,तो और किसी न किसी उपाय से यहूदियों का छुटकारा और उद्धार हो जाएगा, परन्तु तू अपने पिता के घराने समेत नष्ट हो जाएगी। क्या जाने तुझे ऐसे ही कठिन समय के लिए राजपद मिल गया हो?(एस्तेर 4:14)। इससे पहले भी एक घटना में मोर्दकै एक राजगोष्ठी को निष्क्रिय कर देता है।
जब बुराई अपना सिर उठाती है,तब परमेश्वर अनोखे काम करते हैं।
इस्राएल का दमन
आज के दिन तक सबसे अधिक अत्याचार को सहने वाला देश,जिसने चमत्कारी ढंग से,1948 में-एक ही दिन में पुनः जन्म ले लिया।
आज भी इस्राएल अपनी आत्म रक्षा के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहा है। यू0एन की एक बैठक में (2014)में पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि इस्राएल द्वारा गाज़ा पर किये गये आक्रमण को आत्म-रक्षा कहना “नैतिक तौर पर घृणित” और “कानूनी तौर पर गलत” है। और यूनाइटेड अरब अमिरात इससे सहमत था।(3)
विपत्तियों के आने से पहले क्या हम मसीह के प्रति आज्ञाकारी होती है? क्या हम ज़रूरत पड़ने पर उसके लिए खड़े हो जाते हैं? क्या हम सर्वशक्तिमान के साथ एक मत व उसके सामर्थी हाथों के नीचे ढके हुए हैं?
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वे समुद्र के बीच में से होकर गुज़रे, बादल के खम्बे और आग के खम्बे ने उनकी अगुवाई की, उन्होंने शहरपनाहों को तोड़ डाला और शक्शिाली शत्रुओं को हराया। इसके बावज़ूद भी इस्राएल एक राजा की मांग करता है,वह परमेश्वर की अवज्ञा करता ह...
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