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परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 3- राजवंशजों का राज)Sample

परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 3- राजवंशजों का राज)

DAY 3 OF 8

दाऊद का गिरना और फिर खड़े हो जाना एक राजा के रूप में नयी ऊँचाई प्राप्त करने के बाद,दाऊद की ईमानदारी में एक कमी आती है लेकिन वह फिर से उठ कर खड़ा हो जाता है। एक उज्जवल शुरूआत एक राजा के रूप में वहः * शत्रु को क्षमा करता है- वह शाऊल (2शमूएल अध्याय 1)और शाऊल के बेटे ईशबोशेत की मृत्यु(अध्याय 4) की खबर लाने वालों को बदले में मृत्यु दण्ड देता है। वह अपने मित्र योनातान से की हुई प्रतिज्ञाओं को पूरा करता है। * परमेश्वर का भय मानता है- जब उज्जा परमेश्वर के सन्दूक का आदर न करने की वजह मारा जाता है,तब दाऊद परमेश्वर के सन्दूक को दाऊदपुर में लाने से रोक देता है और सुनिश्चित करता है कि परमेश्वर का आदर करते हुए वह राजधानी में आए (अध्याय 6)। * वह परमेश्वर के लिए सर्वदा तत्पर रहता है- वह परमेश्वर के सन्दूक को यरूशलेम में लाते समय, उत्साहित होकर नृत्य करने लगता है। * एक आश्चर्यचकित पतन दाऊद का पतन वास्तविक घटना से काफी पहले प्रारम्भ हो गया था। उसके चरित्र की छोटी सी खामी अन्त में उसके लिए एक बढ़ी बाधा बन गयी। उसकेः * द्वारा अहीमेलेक से वास्तविकता को छुपाए जाने के कारण (1शमूएल 21:2)बहुत से प्राणों का नुकसान उठाना पड़ा था। यह सिलसिला आगे भी गत के राजा,आकीश के सामने ज़ारी रहा,जिसके सामने उसने बावला बनने का नाटक किया(1शमूएल 27:9-11)और हद तो तब हो जाती है जब वह बेतशीबा की गर्भावस्था को छुपाने का प्रयास करता है- जिसके कारण आगे चलकर उसे ऊरिय्याह को मरवाना पड़ता है (2शमूएल 11:10) * सांसारिकता का परिणाम डाह बन जाता है जिसके चलते वह अनेकों विवाह और रखेलों को रख लेता है (2शमूएल 5:13)।पति की मृत्यु के उपरान्त वह अबीगेल से (1 शमूएल 25:39-41),मिकल के साथ (2 शमूएल 3:14)उसके पति के जीवित रहते और अन्त में ऊरिय्याह की पत्नी से उसके पति को मरवाने के बाद विवाह किया(2 शमूएल 11:4)। उसके बच्चों ने भी यही काम उच्च स्तर पर किये। * उसकी निर्दयता की शुरूआत तब हुए जब ”वह अपने क्रोध में“ नाबाल को मारना चाहता था (2 शमूएल 25:22, 39)और जिसका परिणाम वास्तव में हत्या ठहरा (2शमूएल 11:17)। * उसके द्वारा की गई गणना उसकी सुरक्षा का स्रोत बन गयी और उसने लोगों की गिनती शुरू कर दी (2शमूएल 24) एक धीमा सुधार उसके पाप उसे इतना नीचे गिरा देते हैं कि वह धराशायी हो जाता है। * परमेश्वर द्वारा अस्विकृति- इसमें परमेश्वर द्वारा दाऊद को मन्दिर का निर्माण करने से इनकार करना(2शमूएल 7:13), उसके घर में निरन्तर तलवार का भय बना रहना(2शमूएल 12:10, 16:28),पत्नियों का सार्वजनिक तौर पर भ्रष्ट किया जाना (2 शमूएल 12:11)इत्यादि, शामिल है। * दाऊद का प्रतिउत्तर- “किसी मनुष्य के हाथों में पड़ने से परमेश्वर के हाथों में पड़ना उत्तम है। ” (2 शमूएल 24:14)। उसने अपना ध्यान निम्न बातों पर लगाया (भजन 38): 1. उसके पाप पर,परमेश्वर के दण्ड पर नहीं 2. उसकी आशा पर,विवाद पर नहीं 3. बिना किसी सन्देह के वह परमेश्वर की दया पर भरोसा करता है 4. दाऊद की बहाली- उसका राज्य स्थापित हुआ (वर्तमान व भविष्य में),वह आदर के साथ “परमेश्वर के मन के अनुसार व्यक्ति” के नाम से अमर हो गया,और आगामी राजाओं के लिए एक कीर्तिमान बना गया। यदि दाऊद शिकार हो सकता है,तो हम उससे अधिक हो सकते हैं! क्या हम अपने विवेक से अति सूक्ष्म धब्बा मिटाने और परमेश्वर के सम्मुख निरन्तर शुद्ध अवस्था में खड़े होने के लिए तैयार हैं?
Day 2Day 4

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परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 3- राजवंशजों का राज)

वे समुद्र के बीच में से होकर गुज़रे, बादल के खम्बे और आग के खम्बे ने उनकी अगुवाई की, उन्होंने शहरपनाहों को तोड़ डाला और शक्शिाली शत्रुओं को हराया। इसके बावज़ूद भी इस्राएल एक राजा की मांग करता है,वह परमेश्वर की अवज्ञा करता ह...

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