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परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 3- राजवंशजों का राज)Sample
इस्राएल का बंटवारा और पतन
जैसा कि परमेश्वर ने कहा था, सुलैमान के अधिकाई से परमेश्वर की आज्ञाओं की अवहेलना करने के कारण उसका परिवार उसकी मृत्यु के बाद तितर बितर हो गया, और उसके राज्य का बंटवारा हो गया। (2 इतिहास 7: 17-20)। उसके बेटे, रहूबिहाम ने,बूढ़ों की सलाह न मानकर,अपने साथ पले बढ़े जवानों की सलाह मानी जिन्होंने उससे कहा,कि तू लोगों पर अपने पिता से भी ज़्यादा बोझ डाल। जिसके परिणाम स्वरूप उसने घोषणा की किः “मेरे पिता ने तुम पर जो भारी जूआ रखा था,उसे मैं और भी भारी करूँगा,मेरा पिता तो तुम को कोड़ों से ताड़ना देता था,परन्तु मैं बिच्छुओं से दूंगा।“ (1 राजाओं 12:11)
अतः जैसा कि परमेश्वर ने कहा था ( 1 राजाओं 11:31-32),लोगों ने परमेश्वर की आज्ञाओं को नहीं माना और ज्यादातर लोग,उनके प्रसिद्ध अगुवे यरोबाम के पीछे हो लिए। राज्य दक्षिणी राज्य,अर्थात यहूदा (यहूदा,बिन्यामीन और अधिकतर लेवी) तथा उत्तरी राज्य,इस्राएल (बाकि के गोत्रों) में बंट गया। यरोबाम अधिकार में छोटा हिस्सा था- यह एक राजकीय वंश था जिसमें आगे चलकर यीशु का जन्म हुआ।
इस्राएल के जितने भी राजा हुए वे सभी बुरे थे और उन्होंने पराए देवताओं की पूजा को अनुमति दी। उनमें भी कुछ दूसरों की तुलना में थोड़े अच्छे थे,जो फिर भी परमेश्वर के प्रति निष्ठावान थे। यरोबाम ने व्यभिचार व घिनौने कामों और धर्म स्थलों को बढ़ावा दिया और सभी राजाओं ने उसका अनुसरण किया। कुछ शताब्दियों के पश्चात बेबीलोन के लोगों ने उन पर कब्ज़ा कर लिया।
यहूदा के राजाओं में दो राजा-हिज्जिकियाह और योशिय्याह थे जिन्होंने सारे राज्य में से सभी घिनौने कामों और मूर्ति पूजा को राज्य में से हटाया,लेकिन बाकि के राजा बुरे थे- इनमें भी कुछ राजा दूसरों की तुलना में अच्छे थे फिर भी वे अनैतिक यौन सम्बन्धों और मूर्तिपूजा को प्रोत्साहित करते व उनमें हिस्सा लेते थे। वे शताब्दियों तक बने रहे लेकिन बाद में इस्राएलियों पर अश्शूरीयों ने जीत लिया।
लगभग 40 राजाओं ने इन विभाजियों राज्यों पर राज्य किया और उस बीच प्रमुख तथ्य निम्न हैंः
* बुरे और बलवा करने वाले लोगों के बीच में भी परमेश्वर का अनुग्रह और धीरज
* छोटे से पश्चाताप के बाद उसकी अर्थात परमेश्वर की ओर से तुरन्त उत्तर
* राष्ट्रों को दासत्व में भेजने से पहले उसने उन पर धीरज धरा
* परमेश्वर के लिए राज्य करने में मनुष्य की सम्पूर्ण अयोग्यता
* भविष्यद्वक्ताओं,परमेश्वर के दूतों के साथ कड़ा व क्रूर व्यवहार,जिन्हें मारा गया,सताया गया और उन्हें अकेला छोड़ दिया गया।
आज,परमेश्वर का राज्य भी कमजोर आत्मिक नेतृत्व के कारण परेशानी में है। हम लगातार लोगों की मसीह में अगुवाई करने में अक्षमता व अपर्यापतता को देखते हैं। बहुत बड़ी संख्या में लोग परमेश्वर के वचनों से दूर हो रहे हैं,लेकिन कुछ लोगों ने अभी भी वचन को पकड़ रखा है।
अगर परमेश्वर हमें उसके लिए बोलने और खड़े होने के लिए बुलाते हैं तो क्या हम दाम चुकाने के लिए तैयार हैं,जिस प्रकार से हमें भजन 78:5-7 में तथा अन्य कई वचनों के द्वारा आज्ञा दी गयी है,क्या हम वचन को हमारे परिवार व अपने आस-पड़ोसियों में फैला रहे हैं?हम अपने पीछे क्या विरासत छोड़ कर जाने वाले हैं?
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वे समुद्र के बीच में से होकर गुज़रे, बादल के खम्बे और आग के खम्बे ने उनकी अगुवाई की, उन्होंने शहरपनाहों को तोड़ डाला और शक्शिाली शत्रुओं को हराया। इसके बावज़ूद भी इस्राएल एक राजा की मांग करता है,वह परमेश्वर की अवज्ञा करता ह...
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