योजना की जानकारी

पहाड़ी उपदेश नमूना

पहाड़ी उपदेश

दिन 8 का 10

यदि मत्ती 5 ‘सच्ची धार्मिकता’ के बारे है , मत्ती 6 ‘झूठी धार्मिकता’ के बारे में है तो मत्ती 7 ‘स्वयं-धार्मिकता’ के बारे में है ।  इस वृत्तान्त में यीशु दूसरों का न्याय करने के खतरे की चेतावनी के बारे में बता रहे हैं ।  यीशु की चेतावनी यहाँ पर यह नहीं है कि उसके अनुयायिओं को न्याय नहीं करना है या उनके अनुयायिओं को नैतिक लाश बन जाना है ।  उनकी चेतावनी यह है कि हमें किसी के लिए अनुमान लगाने वाला नहीं होना है । दूसरे शब्दों में, मसीहों को स्वयं-धर्मि नहीं होना है । जब हम न्याय करते हैं तो हमें इस बात का ध्यान रखना है कि उनमें सामान या बड़ी दुर्बलता नहीं होनी चाहिए;  हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारा भी एक दिन न्याय होगा , मनुष्य और परमेश्वर दोनों के द्वारा ।    


हमें अपनी नैतिक शर्तों के प्रति सजग रहना चाहिए और इस पर काम करना चाहिए । कई बार हमारे खुद के जीवन में इतने रोड़े होते हैं जो कि हमारे लिए असंभव कर देते हैं कि हम सही और गलत को देखे और अंतर करें ।  और दूसरों के लिए भी कठिन हो जाता है कि वे हमारे सुधार और प्रोत्साहन को स्वीकार करें ।  

अपनी गलतियों को न देखकर यदि हम दूसरों के सुधार के प्रयत्न में उनकी गलतियों और दुर्बलताओं पर हमला करेंगे तो वे पलटकर हम पर हमला करेंगे । यीशु ने कहा कि यह बात सूअरों के आगे मोती डालने जैसा है ।  सूअर उन मोतियों का मूल्य जो उनके आगे डाले गए हैं नहीं देख पायेंगे; वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे जो उनके आगे डाला गया है ।  लेकिन वे आप पर बिना देर किये हमला कर देंगे ।

यीशु का आदेश, “न्याय मत करो”,  आखिरी विश्लेषण में भी यीशु मसीहों को स्मरण कराते हैं कि मसीहों को न्यायी होने के लिए नहीं लेकिन गवाह होने के लिए बुलाया गया है ।  इसका अर्थ है कि जब मसीही किसी बात को गलत समझते हैं या कहते हैं तो वे अपनी स्वतंत्र समझ से निर्णय नहीं लेते हैं लेकिन यह परमेश्वर की ओर से है , वे तो सिर्फ परमेश्वर के निर्णय के गवाह हैं ।         

पवित्र शास्त्र

दिन 7दिन 9

इस योजना के बारें में

पहाड़ी उपदेश

इस क्रम में पहाड़ी उपदेशों को देखा जाएगा (मत्ती 5-7)। इससे पाठक को पहाड़ी उपदेश को बेहतर तरीके से समझने में सहायता मिलेगी और उससे जुड़ी बातों को रोज़मर्रा के जीवन में लागू करने की समझ भी प्राप्त होगी ।

हम इस योजना को प्रदान करने के लिए RZIM भारत को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: http://rzimindia.in/

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