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परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 4 - भविष्यद्वक्ताओं का यु्ग)Sample

परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 4 - भविष्यद्वक्ताओं का यु्ग)

DAY 7 OF 9

# यहेजकेल,चौकीदार परमेश्वर के वचन का सही प्रचार व शिक्षाओं को मिली जुली प्रतिक्रिया मिलती है,प्रायः यह प्रतिक्रिया नकारात्मक होती है। 597 ई.पू में गुलामी में ले जाए गये यहेजकेल [2] ने, 592 ई.पू में, 30वर्ष की उम्र में प्रचार करना प्रारम्भ किया।बेबीलोनके कबार नदि के तट पर परिस्थितियां उलझी हुई थीं[2]: * कुछ लोग धर्मनिष्ठ है (भजन संहिता 137) * अन्य मूर्तिपूजक हैं (यहेजकेल 14:4;20:30) * बहुत से लोगों ने यहेजकेल को अस्विकार कर दिया (यहेजकेल 14:1.3;18:19-25;20:49;33:32) * बहुत से लोग सोच रहे थे कि वे कुछ ही समय के लिए यहां पर हैं (यहेजकेल 13:16-19; देखें यिर्मयाह 29:5) यह परिस्थिति वर्तमान परिस्थिति के समान नही है। हम परमेश्वर की बनाई गयी सृष्टि में ही इतने व्यस्त हैं कि हम जो मूल अर्थात स्वयं सृष्टिकर्ता को भूल गये हैं। परमेश्वर ने यहेजकेल को चौकीदार (यहेजकेल 3:17)के रूप में बुलाता है। वह बाद में निम्न कारणों से उसकी बुलाहट को नया करते हैंः * भ्रम को खत्म करने के लिए - कि यरूशलेम का कभी पुनःनिर्माण नहीं हो पाएगा;बन्धुवाई जल्द ही खत्म हो जाएगी। * धर्म त्याग का खुलासा करने के लिए - जिससे वह दिखा सके कि क्यों परमेश्वर यहूदा (और जाति जातियों) का न्याय करके दण्ड दे रहा है। * पश्चाताप करने के लिए प्रेरित कर रहा है- ताकि वे भविष्य के लिए की गयी प्रतिज्ञाओं के वारिस बन सकें। * आशा उत्पन्न कर रहा है- ताकि उनका भविष्य बहाल हो सके। चौकिदारी प्रचार करने के द्वारा * प्रचारक की जिम्मेदारी–सुसमाचार का प्रचार करना या उनके“लहू”की जिम्मेदारी लेना (यहेजकेल3:18) * प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी–व्यक्तिगत उद्धार के निमित्त (यहेजकेल 18:1-4) कामों के द्वारा उसे प्रतिवर्ष के दण्ड को दर्शाने के लिए प्रति दिन अपने एककरवटपर लेटना था(यहेजकेल4:4-6): * वह 390 वर्षों के बदले उतने ही दिन इस्राएल के लिए लेटा * 40 वर्षों के बदले उतने ही दिन यहूदा के लिए लेटा दर्शन देखने वाला यहेजकेल करूबों अर्थात स्वर्गदूतों की दुनिया के दर्शन(यहेजकेल1:5-8)और लूसिफर के पतन जैसी घटनाओं को देखा करता था (यहेजकेल 28:12-17)। दानिय्येल (यहेजकेल 11)“दक्षिण के राजा”की ओर से दो आक्रमणों का वर्णन करता है जिसमें से एक मसीह के प्रथम आगमन से पहले होना था और दूसरा मसीह के दूसरे आगमन से पहले, यहेजकेल तीसरे आक्रमण का वर्णन करता है (यहेजकेल 38:39)अर्थात जब वे सुरक्षित रह रहे होगें- सम्भवतः यह सहस्राब्दि के अन्त में प्रगट होगा जो मसीह और शैतान के साथ अन्तिम लड़ाई को दर्शाता है (प्रकाशितवाक्य 19:11-21:8)। यहेजकेल ने इस्राएल के भविष्य में पुनः जन्म लेने की भविष्यद्वाणी की। * एक नया हृदय (यहेजकेल 36:24)–पुनः एकत्रित हुआ राष्ट्र जो पूरी तरह से पवित्र होगा * सूखी हड्डियों का जीवन पाना (यहेजकेल 37:4-6) * इस्राएल केमन्दिर का पुनः निर्माण सहस्राब्दि में होगा (यहेजकेल 41) * सन्तों के साथ मिलकर हज़ार वर्षों के लिए मसीह का राज्य (प्रकाशितवाक्य 20:4-6) * 1000व र्षों के लिए शैतान का बांधा जाना (प्रकाशितवाक्य 20:1-3) “क्या हम परमेश्वर के लोगों की चौकसी कर रहें व उस संसार से भ्रम को दूर कर रहे हैं जहां पर यातनाएं प्रबल हैं?क्या हम भटके हुओं में इस तरह से प्रचार करते हैं मानों हमारे सिर पर उनका खून हो”?क्या हम दूसरों के पापों के बोझ को उठा रहे या उठाने में मदद कर रहे हैं?
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परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 4 - भविष्यद्वक्ताओं का यु्ग)

राजाओं के असफल होने के कारण भविष्यद्वक्ताओं के बारे में अधिक चर्चा की जाने लगी, जो अगुवों और परमेश्वर के जनों को परमेश्वर द्वारा किये जाने वाले न्याय के प्रति चेतावनी देने लगे। एक सच्चे भविष्यद्वक्ता के विरूद्ध बहुत से झ...

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