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परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 4 - भविष्यद्वक्ताओं का यु्ग)Sample
# दानिय्येल,भविष्य सम्बन्धी दर्शन
परमेश्वर के भवन में भ्रष्टता एक बहुत बढ़ी वजह हैं जिसके कारण हम अपने आराम को छोड़कर घुटनों के बल प्रार्थना करने लग जाते हैं।
दानिय्येल,को सारे राजकीय वैभव प्राप्त थे,लेकिन वह अपने हृदय की गहराई में इस बात को जानता था कि वह और उसके लोग लगातार परमेश्वर की आज्ञाओं को न मानने और उसका विरोध करने के कारण गुलामी में है। परमेश्वर के धीरज और सामर्थ को जानते हुए,अपने राष्ट्र की ओर से पश्चाताप करते हुए परमेश्वर की कृपा के लिए प्रार्थना करता है।
दर्शनों की श्रृंखला में,परमेश्वर संसार के भविष्य की एक बड़ी तस्वीर का खुलासा करते हैंः
* दानिय्येल अध्याय सात में चार पशुओं का दर्शनराज्यों के उदय और उनके पतनके बारे में बताता है। इस दर्शन का अर्थ भी ठीक नबूकदनेस्सर के उस स्वपन के समान था जिसमें उसने सोने के सिर वाली मूरत को देखा था। इस धरती पर अधिकार करने वाले राज्यों का अनुक्रम इस प्रकार से हैं–बेबीलोनी,मिद्यान,फारस,यूनानी,रोमी और उसके बाद विभाजित राज्य जिसे नबूकदनेस्सर के दर्शन में10सींगों और,पैर की दस उंगलियों द्वारा दर्शाया गया है। अन्तिम राज्य अर्थात सत्ता मसीह की होगी जिसे अन्त में सारा अधिकार प्राप्त हो जाता है।
* दानिय्येल8अध्याय में मेढ़े और बकरे का दर्शनमसीही विरोधी व उसके पूर्वाधिकारियों के उदय और पतनको दर्शाता है–अर्थात उत्तर और दक्षिण के राजाओं को। जिब्राएल फरिश्ते ने वर्तमान और बीती घटनाओं का हवाला देते हुए राज्यों का विस्तृत वर्णन किया। उसने यह भी बताया कि साढे़3वर्षों तक मसीही विरोधी जिसे छोटे सींग के रूप में दर्शाया गया है पवित्र मन्दिर को अशुद्ध करेगा। यह भविष्य में होने वाली घटना है लेकिन इसकी प्रतिकृति अर्थात ठीक इसी प्रकार की घटना को हम मसीह के जन्म से पहले देख सकते हैं। वहां पर अन्त में मसीही विरोधी के नाश का वर्णन किया गया है जिसके बाद मसीह और उसके दास दासियां राज्य पर अधिकार कर लेते हैं।
* दानिय्येल अध्याय9में दानिय्येल की प्रार्थना का उत्तर देने के लिए जिब्राएल फरिश्ता एक बार फिर से प्रगट होता है और बताता है कि (70सप्ताहों में)मसीह का आगमन होगा और वह बुराई पर विजय प्राप्त करेगा।स्वर्गदूत ने दानिय्येल को बताया कि उसकी प्रार्थनाओं का उत्तर70सप्ताहों में मिलेगा,जो कि70×7वर्षों को दर्शाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि इन वर्षों को बांटा गया है। प्रथम69सप्ताह हमें यरूशलेम के निर्माण के बारे में बताते और मसीह के प्रथम आगमन की ओर संकेत करते हैं। यहां पर एक अन्तराल दिखाई पड़ता है (दानिय्येल9:26)जिसके दौरान यरूशलेम और मन्दिर नाश किया जाएगा। यहूदियों को लड़ाईयों और बर्बादी का सामना करना पड़ेगा।[1] अन्तिम सप्ताह में (दानिय्येल9:27),लेकिन मसीह की निर्णायक व अन्तिम विजय के बाद उजाड़ने वाली घृणित वस्तुएं दिखाई देंगी।
* अन्त में,परमेश्वर स्वयं दानिय्येल की प्रार्थना का प्रतिउत्तर देते हुए दानिय्येल10-12मेंमहाक्लेश,हर्षोन्माद,अनन्त मृत्यु/जीवनके बारे में बातें करते हैं। दानिय्येल10:5में संदेश वाहक प्रकाशितवाक्य1:13,14के मसीह को प्रगट करता है और उन सम्राज्यों के उदय और पतन का विस्तृत वर्णन करता है जिसमें से अधिकतर इस संसार पर राज्य कर चुके हैं।
दानिय्येल11:35में दिया गया अन्तराल यहूदियों और प्रभु के लोगों के शुद्धिकरण का समय है। यह समय मसीह की मृत्यु के बाद से लेकर हमारा वर्तमान काल प्रतीत होता है।
इन घटनाओं में मसीही विरोधी,उसके द्वारा किये जाने वाले उजाड़ व अपवित्रिकरण और उसके द्वारा किये जाने वाले विनाश की पराकाष्टा को (दानिय्येल11:36के आगे) दिखाया गया है। ठीक इसी प्रकार से महाक्लेश,हर्षोन्माद और न्याय को (दानिय्येल12:1-3में) एक विस्तृत समयावधि में दिखाया गया है।
दानिय्येल की प्रार्थनाएं परिस्थिति को नहीं बदलती वरन वह उसके दृष्टिकोण को बढ़ा देती है। क्या हम भी दानिय्येल के समान हैं,जो इस खोए हुए संसार को चंगा करने के लिए मसीह के बोझ को लेकर चल रहे हैं?
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राजाओं के असफल होने के कारण भविष्यद्वक्ताओं के बारे में अधिक चर्चा की जाने लगी, जो अगुवों और परमेश्वर के जनों को परमेश्वर द्वारा किये जाने वाले न्याय के प्रति चेतावनी देने लगे। एक सच्चे भविष्यद्वक्ता के विरूद्ध बहुत से झ...
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