योजना की जानकारी

यीशु मसीह के दृष्टांतनमूना

The Parables of Jesus

दिन 2 का 36

बुद्धिमान और मूर्ख बनाने/निर्माण करने वाले

लूका रचित तथा मत्ती रचित, इन दोनों सुसमाचारों में दिया गया यह पहला दृष्टांत है। अपने जीवनों का निर्माण हम किस तरह से, और कौन सी नींव पर कर रहे हैं, इन बातों को हमें जांचने की चुनौती यीशु हमें दे रहें हैं।



क्या हम अपने जीवनों का निर्माण जान-बूझकर इस तरह से कर रहें हैं जिसमें बदलाव लाया ही न जा सके, या क्या हम परिस्थितियों और घटनाओं को हमारे जीवन की कभी न बदलने वाली नींव बनने की अनुमति दे देते हैं? क्या आप जानते हैं कि आप अपने जीवन का निर्माण किसके ऊपर कर रहें हैं, परमेश्वर के ऊपर या आपकी प्राथमिकताएं, आपके विचार, या सपनों के ऊपर?



परमेश्वर की शिक्षाओं को आप कितनी बार पढ़तें/या सुनते हैं? अपने जीवन में इनका पालन करने के लिए आप कौन-कौन से तरीके/प्रक्रिया अपनाते हैं? क्या आप परमेश्वर के वचन पर अपने जीवन की नींव रखने की कोशिश अपने आप ही करतें हैं या "निर्माण करने वालों" के समूह की मदद से? क्या आपके जीवन की नींव के कुछ हिस्से ऐसे भी हैं जो टूट-फूट गए हैं और जिन्हे पुनःस्थापित करने की आवश्यकता है? अपने जीवन का यीशु में निर्माण कैसे करना है, जानबूझकर एक दिन भी व्यर्थ ना जाने दें!

पवित्र शास्त्र

दिन 1दिन 3

इस योजना के बारें में

The Parables of Jesus

यह पाठ योजना आपको यीशु द्वारा सुनाये दृष्टांतों में से लेकर जायेगी, जिससे आप यह जान सकोगे कि उसके कुछ महान उपदेश आपके लिए कितना महत्त्व रखतें हैं! बहुत से दिनों की यह पठन योजना पाठकों को चिंतन-मनन करने का समय देती है और ...

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We would like to thank Trinity New Life Church for this plan. For more information, please visit: http://www.trinitynewlife.com/

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