योजना की जानकारी

मन की युद्धभूमिनमूना

मन की युद्धभूमि

दिन 3 का 100

शैतान के दृढ़ गढ़


एक दृढ़ गढ़ वह क्षेत्र है जहाँ हम कैद में रखे जाते हैं — हमारे जीवन का कोई भी क्षेत्र जिसमें शैतान हमें कैद कर सकता है। कुछ निश्चित रीति से सोचने को मजबूर करके वह ऐसा कर सकता है — ऐसी रीति जो हमें बताए गए झूठ पर निर्भर है। जब तक हम ऐसी बातों पर विश्वास करते रहेंगें जो सच्छ नही है, हम शैतान के मजबूत कड़ में कैद रहेंगें। स्वतंत्रता का अनुभव करने के लिए हमें परमेश्वर के शक्तिशाली हथियारों का उपयोग करना आना चाहिए।


अपनी पुस्तक मन की युद्धभूमि में मैंने री नाम की एक लड़की का वर्णन किया है जिसके दिमाग में उसके पिता ने बहुत सी झूठी बातें भर दी थी और किशोरवय तक पहुँचते पहुँचते, पुरूषों पर उसे भरोसा नहीं रह गया था। इस में कोई आश्चर्य नहीं कि अपने वैवाहिक जीवन में उसकी और उसके पति को बहुत संघर्ष करना पड़ा। वषोर्ं तक, शैतान ने उससे झूठ बोला था और उसने उन झूठी बातों पर विश्वास किया था।


मैरी की कहानी नहीं है। मैं दानिएल नामक एक व्यक्ति को जानती हूँ, जो बहुत बुद्धिमान है। वास्तव में, उसका परीवार उससे कहा करते कि वह शहर भर में सबसे तेज और बुद्धिमान है। परमेश्वर ने उसे एक तेज दिमाग दिया था लेकिन शैतान ने इस सच्चाई का उपयोग उसे कैद करने में किया। जब तक प्रभु यीशु से उसकी मुलाकात नहीं हुई, तब तक वह सोचता था कि वह सबसे अधिक तेज व श्रेष्ठ है। घमंड के कारण, उसके लिए धोखा खाना और अपने विषय में जरूरत से अधिक उूँचा सोचना आसान था। वह उन्के प्रति जो उसे अपने से कम बुद्धिमान लगते थे आलोचनात्मक और न्यायी बन गया।


पेट्रिस्याँ भी मैरी जैसी थी, उसमें एक ही फर्क था कि उसके पिता उस से लगातार कहते रहते थे कि वह अच्छी नहीं हैय कि वह नालायक है और उसे जो भी पुरूष पहले मिले उसी से ही विवाह कर लेना चाहिए। ऐसा उसने किया भी, और एक बेहद तकलीफदेह जीवन व्यतीत किया। वह समझती थी कि वह कभी किसी के भी लायक नहीं थी।


मैरी, दानिएल और पेट्रिस्याँ अलग अलग कैदखानों में कैद थी, लेकिन शैतान उन सबका जेलर था। तीनों ने कष्टप्रद जीवन व्यतीत किया तब तक उनका झुकाव पौलुस द्वारा कहे गये ‘‘हमारे युद्ध के हथियार‘‘ के तरफ नहीं हो गया। परमेश्वर का वचन वह हथियार है जो उन्हें स्वतंत्र करता है। प्रचार, शिक्षाएँ, पुस्तकें, कैसेट, सम्मेलन, छोटे बाईबल अध्ययन समूह, और स्वयं के अध्ययन के द्वारा वे हथियार प्रभावशाली बने। उन्होने स्तुति और प्रार्थना जैसे अन्य आत्मिक हथियारों का उपयोग करना भी सीखा। उन्होने स्तुति और प्रार्थना जैसे आत्मिक हथियारों का उपयोग करना भी सीखा। उन्होने सीखा कि जब हम सच्चे हृदय से परमेश्वर की प्रशंसा करते हैं, तब किसी भी अन्य रणनीति के मुकाबले जल्द शैतान को पराजित कर सकते हैं।


वे पहले दिन ही सारी समस्याओं पर विजय नहीं प्राप्त कर सकें — यह एक धीमी प्रक्रिया थी किन्तु इंतजार करना भला था। पेट्रिस्याँ ने बाद में कहा, ‘‘शैतान के झूठ के द्वारा कैद होने में मैने बहुत वर्ष व्यतीत किया, अतः परमेश्वर मेरे जीवन में अपनी योजना को काम करने देने में बहुत सारा समय क्यों नहीं देती।‘‘ हमारी विजय एक दिन की, एक बड़ी घटना नहीं है — यह एक प्रक्रिया है।


‘‘जितना अधिक मैं यह समझ पाया कि शैतान ने मेरे मन के साथ खिलवाड़ किया है'', दानिएल ने कहा। उतना ही मैं उसका सामना कर सका। परमेश्वर के वचन की सच्चाई ने मुझे स्वतंत्र कर दिया‘‘।


परमेश्वर के लोगों को उस दुष्ट की शक्ति पर विजय पाने के लिए स्तुति और प्रार्थना जैसे बड़े हथियारों का उपयोग करना चाहिए। परमेश्वर, उसके सामर्थ और हमारे जीवन में होनेवाली भलाईयों पर अपने मन को लगाने में, स्तुति हमारी सहायता करती है। यह इस बात का प्रमाण है कि हम विश्वास करते हैं कि वह हमारी सहायता कर सकता है और करेगा।


सच्ची प्रार्थना परमेश्वर के साथ हमारे संबंध को प्रतिबिंबित करती और उस पर हमारी निर्भरता को दर्शाती है। हम उसकी संतान हैं और वह हमारा पिता है। जब हम प्रार्थना करते हैं तो परमेश्वर की सहायता पाने हेतु द्वार खोलते हैं। हम उससे अपने मन को मुक्त करने और शैतान के दृढ़ गढ़ों पर विजय देने हेतु प्रार्थना करते हैं।


परमेश्वर इन प्रार्थनाओं को सुनता है। वास्तव में प्रार्थना करने में हमारी उत्सुकता से अधिक परमेश्वर इन प्रार्थनाओं का उत्तर देने के लिए बहुत उत्सुक है। प्रार्थना को इस रीति से सोचिएरू जब हम प्रार्थना करते हैं तब जबरदस्त सामर्थ तक हमारी पहुँच हो जाती है।


जब हम अच्छी तरह यह समझ लोगों कि हम परमेश्वर की संतान हैं, तब हम अपने युद्ध के हथियारों का उपयोग करने के लिए आत्मविश्वास प्राप्त करेंगें। हथियार उपलब्ध हैं। हमें उनके उपयोग की जानकारी और हार न मानने के लिए प्रोत्साहन चाहिए। यीशु ने सदा हमारे साथ रहने की प्रतिज्ञा की हैय (मत्ती 28ः20)। हम अपने हथियारों से इसलिए जीत सकते हैं क्योंकि वे आत्मिक हथियार हैं। शैतान सांसारिक और दैहिक लड़ाई लड़ता है, परन्तु हम विजयी हो सकते हैं क्योंकि परमेश्वर की सामर्थ हमारे पक्ष में है।


बहुमूल्य पवित्र आत्मा, मुझे सिखा कि हमारे युद्ध के हथियार आत्मिक हैं और कि हम शैतान के प्रत्येक आक्रमण के विरूद्ध विजय पा सकते हैं। मसीह के नाम में यह प्रार्थना करती हूँ। आमीन।

पवित्र शास्त्र

दिन 2दिन 4

इस योजना के बारें में

मन की युद्धभूमि

जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्ति...

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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/

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