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मन की युद्धभूमिनमूना

मन की युद्धभूमि

दिन 5 का 100

सत्य को जानिए


मैंने अपनी पुस्तक मन की युद्धभूमि में, मैरी के पति जॉन, के बारे में भी बताया है जो निम्न स्तर का व्यक्ति था। वह एक ऐसा व्यक्ति था जिसकी माता ने उसका बहुत मरवोल उड़ाया था और जिसके बचपन के दोस्तों ने उसपर व्यंग्य कसे थे। वह सामना करने से कतराता था औेर मैरी की दृढ़ इच्छा शक्ति के आगे वह टिक न सका। वह अपनी पत्नी के समान ही एक कैदी था। वह उस पर दोष लगाता थाय और मैरी उस पर दोष लगाया करती थी—और यहाँ हम शैतान के कपट भरें मागोर्ं को पुनः देखते हैं।


जॉन यह मानता था कि किसी का सामना करने का कोई लाभ नहीं हैय क्योंकि वह तो हारने वाला है। उसने सोचा कि शांत रहना और जो कुछ होता है उसे स्वीकार करना ही एक मात्र मार्ग है।


जॉन शैतान के एक और झूठ पर विश्वास करता था—उससे परमेश्वर सच्चा प्यार नहीं करते है। यह कैसा हो सकता है? वही तो प्यार के लायक ही नहीं है। क्योंकि उसे ऐसा लगता था, इसलिए उसने शैतान के झूठ पर विश्वास किया था। ‘‘मैंने महसूस किया कि मानो परमेश्वर संसार से कह रहा हो, ‘‘यीशु में विश्वास करो औेर तुम बच जाओगे‘‘। मैं एक एकमुश्त सौदा कर रहा था—पर मैंने कभी महसूस नहीं किया कि मैं प्यार किए जाने के लायक हूँ।‘‘


यह शैतान के सबसे बड़े झूठ में से एक हैः ‘‘तुम कुछ नहीं हो। तुम किसी लायक नहीं हो।‘‘ यदि आपके मन का शत्रु आपको यकीन करता है कि आप कुछ नहीं हों और आप किसी लायक नहीं हों, तो उसने आपके मन में एक दृढ़ गढ़ बना लिया है।


यद्यपि जॉन मसीही था परन्तु उसका मन उसके शत्रु की कैद में था। जॉन को सीखना यह था कि वह परमेश्वर के लिए महत्वपूर्ण है। लम्बे समय तक वह सच्चाई से अनजान रहा था। उसकी माता ने उसे नहीं बताया था कि वह अच्छा, और योग्य है और वह परमेश्वर की संतान है। उसके मित्रों ने उसे प्रोत्साहित नहीं किया, और विवाह के शुरूआती वषोर्ं में मैरी की आलोचना ने उसे इस बात पर और भी यकीन दिला दिया, और उसे यह लगने लगा की जीवन एक आशाहीन पराजय है।


जॉन को यह जानने की आवश्यकता है कि परमेश्वर उससे प्यार करते है, और वह परमेश्वर के राज्य में पौलुस, मूसा या अन्य किसी के भी समान ही बहुमूल्य है। यीशु उसका घ्यान रखता है और उसके साथ है। जॉन को अपनी लड़ाई जीतने के लिए और शैतान के बनाए मानसिक गढ़ों को ढा देने के लिए सच्चाई जानने की आवश्यकता है। ‘‘.....यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, और उसके अनुसार जीवन व्यतीत करोगे तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे। तुम सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हे स्वतंत्र करेगाय (यूहन्ना 8:31—32)। परमेश्वर के वचन को पढ़ते हुए, प्रार्थना करते हुए और वचन की शिक्षा पर मनन करते हुए जॉन सत्य को सीख रहा है। वह अपने प्रतिदिन के जीवन में वचन को लागू करते हुए भी सीख रहा है और प्रभु के कहे अनुसार वचन को अपने जीवन में काम करते हुए देखने का अनुभव प्राप्त कर रहा है। अनुभव अक्सर अच्छा शिक्षक होता है। मैंने परमेश्वर के वचन से सीखा है और जीवन का अनुभव हैं, कि परमेश्वर का वचन सामर्थ से भरा हुआ है और हमारे मनों में शैतान के बनाए मजबूत गढ़ों को ढा देगा।


आप तब तक स्वतंत्र नहीं हो सकते जब तक आप यह समझ नहीं लेंगें कि युद्ध के हथियार आपके लिए उपलब्घ है और आप उनका उपयोग करना सीख सकते है। जैसे आप शैतान का विरोघ करना और कहना सीख लेंगें, आपका जीवन नाटकीय रूप से बदल जाएगा।


स्वर्ग के प्रभु परमेश्वर, मुझे स्मरण दिला कि मैं आप के लिए महत्वपूर्ण हूँ और चाहे मैं महसूस न करूँ पर मैं आपके द्वारा प्रेम की जाती हूँ। यह सीखने में मेरी सहायता कर कि किसी भी अन्य मसीही के समान मैं भी आपके लिए महत्वपूर्ण हूँ और उनकी ही तरह आप मुझे भी प्यार करते हैं। यीशु मसीह के नाम में मैं आपका धन्यवाद करती हूँ। आमीन।



पवित्र शास्त्र

दिन 4दिन 6

इस योजना के बारें में

मन की युद्धभूमि

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हम इस पढ़ने की योजना प्रदान करने के लिए जॉइस मेयर मिनिस्ट्रीज इंडिया को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें: https://tv.joycemeyer.org/hindi/

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