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परमेश्वर के संपर्क - पुराने नियम की एक यात्रा (भाग 1 पुराने नियम का सार, कुलपतियों के काल )Sample

परमेश्वर के संपर्क - पुराने नियम की एक यात्रा (भाग 1 पुराने नियम का सार, कुलपतियों के काल )

DAY 14 OF 14

परमेश्वर की आज्ञाएँ क्या पुराने नियम की व्यवस्था आज प्रासंगिक है? यह नए नियम के दिशार्निदेशों के साथ इसकी तुलना कैसे की जा सकती है? बहुत से लोग मानते हैं कि हम किसी भी चीज़ से बच सकते हैं क्योंकि हम “अनुग्रह के अधीन” हैं। यह अब तक का सबसे बुरा धोखा है। मूसा के द्वारा परमेश्वर ने इस्राएलियों को सैंकड़ों व्यवस्थाएं सौंपीं; ये व्यवस्थाएंनिम्न्लिखित हैं : * नागरिक नियम (आहार और न्यायिक भी) - यहूदी राष्ट्र के शासन के लिए। आज इसे हमारे अपने संबंधित शाशकों व अधिकारियों द्वारा बदल दिया गया है। * औपचारिक नियम (बलिदान, पर्व के दिन आदि।) - आज के लिए, यीशु ने बपतिस्मा और प्रभु भोज को प्रमुख संस्कारों के रूप में स्थापित किया है जिनका पालन मसीह में नवीनीकरण और शुद्धिकरण का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जाना चाहिए। * नैतिक/आत्मिक नियम (परमेश्वर की उंगली द्वारा लिखी गई 10 आज्ञाएँ) – पूरी तरह से प्रासंगिक और एक पायदान ऊपर उठी हुई। यीशु सबसे बड़ी आज्ञाओं पर प्रकाश डालते हैं। “37 उसने उससे कहा, “तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और सारे प्राण और सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख... तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।’40 ये ही दो आज्ञाएँ सारी व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं का आधार है।“ (मत्ती 22) फिर वह नई आज्ञा के साथ मापदंड को ऊठाता है। “मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूँ कि एक दूसरे से प्रेम रखो; जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसे ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो।” यूहन्ना 13:34,35 नई वाचा में, यीशु ने मापदंड को थोड़ा ऊँचा कर दिया: * प्रेम - दूसरों से प्रेम करना (“अपने समान”) स्वंय के लिए प्रेम होने से कहीं अधिक है। इसके द्वारा वह निस्वार्थ प्रेम को प्रगटहोना चाहिए जिसे मसीह ने प्रदर्शित किया ( “जैसा मैं ने तुम से प्रेम किया” )। * व्यवस्था - व्यवस्था की आत्मा व्यवस्था के पत्र से अधिक महत्वपूर्ण है (यिर्मयाह 33:3, रोमियों 8:5-7, 1कुरिन्थियों 2:13-16) * जीवन - पुराने नियम में परमेश्वर ने लोगों को वैसे पवित्र होने के लिए बुलाया जैसा कि वह पवित्र था; नए नियम में बुलाहट स्वयं से परे दूसरों तक जाती है – चेला बनने के लिए और उन लोगों को चेला बनाने के लिए जो अनुसरण करने का चुनाव करते हैं। (मत्ती 28:18-20) मसीह व्यवस्था को पूरा करते हैं (मत्ती 5:17) और हमें व्यवस्था की आत्मा को पूरा करना सिखाते हैं। जो अनुग्रह परमेश्वर हमें देते हैंउससे हमें पाप करने का लाइसेंस नहीं परन्तु पाप से छुटकारा मिलता है। अनुग्रह बाइबल में सबसे अधिक मिलावटी और गलत व्याख्या की गई अवधारणाओं में से एक है। व्यवस्था हमें पाप के प्रति सचेत करती है, अनुग्रह हमें परमेश्वर के प्रति सचेत करता है। (रोमियों 7:6)। क्या हम दूसरों को वह प्रेम दिखा सकते हैं जैसा प्रेम मसीह लोगों को अपने करीब लाने के लिए करते हैं? क्या हम व्यवस्था की आत्मा का अनुसरण करते हैं? क्या हम मसीह के चेले होने के रूप में जीवन व्यतीत कर रहे हैं तथा उन लोगों को खोज कर रहे हैं जो परमेश्वर को ढूढ़ते हैं व उन्हें उनका चेला बना रहे हैं?
Day 13

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परमेश्वर के संपर्क - पुराने नियम की एक यात्रा (भाग 1 पुराने नियम का सार, कुलपतियों के काल )

पुराने नियम में, परमेश्वर ने लोगों (संपर्क) को चुना, उनके साथ अनेकों तरीकों से बातचीत की।यह, नए नियम के प्रकाश में, वचन के गहरे दृष्टिकोण को प्रदान करता है। परमेश्वर के संपर्को के चार भाग हैं, जिसमे पहला भाग पुराने नियम...

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