योजना की जानकारी

चिन्ता को उसी के रचे खेल में हरानानमूना

चिन्ता को उसी के रचे खेल में हराना

दिन 1 का 4

दिन 1: उसे बाहर निकालें


क्या आप जल्दी चिन्ता करने वाले जन हैं? क्या आप अधिकतर असामायिक समयों में चिन्ता के कारण निढाल या बेजान हो जाते हैं? क्या आप अचानक से व्याकुल और बेचैन हो जाते हैं। इस बात को मान लेने में कोई बुराई नहीं है कि आपको चिन्ता से कष्ट होता हैं। इसकी आधी समस्या इस मुद्दे व सच्चाई से जुड़ा हुआ दाग है कि हम जिन परिस्थितियों से होकर गुजर रहे हैं उसे हमें छुपाना है। हम तब स्वतन्त्रता का अनुभव करते हैं जब हम परमेश्वर, अपने आप और अपने भरोसेमन्द दोस्तों के साथ पारदर्शिता के साथ रखते हैं कि हम एक अदृश्य परन्तु वास्तविक शत्रु से लड़ाई कर रहे हैं। हमें अपना गुलाम बनाने वाली कोई भी शक्ति तब अपना अधिकार खो देती है जब हम उसे अन्धकार से बाहर ज्योति में बुलाते हैं। ज्योति में हम लोग स्पष्ट तौर पर देख सकते हैं कि हमारा सामना किसी चीज़ से हो रहा है और वह हमें यह भी स्पष्टता से बता देता है कि क्या उस मुद्दे पर इतना ध्यान देने की जरूरत हैं जितना हम दे रहे हैं। हमारी चिन्त, हमारे जीवन में चल रही वास्तविक और परेशान करने वाली परिस्थितियों पर आधारित या काल्पनिक या अकारण भयों के कारण हो सकती है। एक बार अगर हम मान लें कि हम इस बात की चिन्ता से संघर्ष कर रहे हैं तो, तब हम ध्यान से यह देख सकते हैं कि कौन सी चीज़ इस चिन्ता को बढ़ा रही है, फिर हम उसे परमेश्वर के पास ले जा सकते हैं,  जिसने हम से सारी चिन्ताएं उस पर डालने के लिए कहा है क्योंकि वह हमारा ख्याल करता है। 


चिन्ता को मान लेने और उसे बताने से लज्जा और दोष भावना कम हो जाती है जो चिन्ता के साथ साथ लगी रहती है और हमें हमारे सृष्टिकर्ता से सहायता मांगने में मदद मिल जाती है जो हमें सबसे अच्छी तरह से जानता है। 


हमें परेशान करनी वाली भावनाओं के इस घालमेल में परमेश्वर को लाने से, हम उसके वचनों और लगातार उससे बातें करने के द्वारा उस परिस्थिति में अधिक स्पष्टता का अनुभव करने लग जाते हैं। यह सम्भवतः आपकी प्रार्थना का उत्तर न हो परन्तु उसकी शान्त उपस्थिति और सामर्थ्य आपको पूरी तरह से घेर लेगी। जब परमेश्वर के साथ आपका सम्बन्ध बनना प्रारम्भ हो जाता है तो आपको पता चल जाता है कि परमेश्वर को उसका स्थान देने और अपने स्थान को बेहतर समझने के लिए नियंत्रण को त्यागना बहुत ज़रूरी हो जाता है। परमेश्वर के हाथों में सौंपना जीवन में केवल एक ही बार किया जाने वाला काम नहीं है वरन यह हमारे दैनिक जीवन में नियमित तौर पर किया जाने वाला अनुशासन है। आप परमेश्वर पर यह भरोसा कर सकते हैं कि वह एक प्रेमी और सज्जन पिता के रूप में आपकी देखभाल कर सकता है, जो न तो दोष लगाता और न कठोरता करता है। वह चाहता है कि आप उसके पास जाएं और उसे अपने जीवन की सारी चिन्ताओं को सौंप दें ताकि वह आपको अपनी बाहों में ले सके। वह आपको उस चिन्ता से मुक्त करना चाहता है जो कैद करते रखती है और आप असीमित आनन्द, शान्ति और आराम के साथ जीवन व्यतीत कर सकें। परमेश्वर हमें बहुतायत से हमारी चंगाई और छुटकारे में रूची रखता है इसलिए उसे चुप न कराएं। क्या आप आज और प्रत्येक दिन अपनी चिन्ता का सामना उस साहस से करेगें जो मसीह आपको देता है और फिर अपनी सारी चिन्ताओं से निपटने के लिए उन्हें उसके हाथों में दे देगें?


प्रार्थनाः


मैं स्वीकार करता हूं कि ................... क्षेत्र में मुझे बहुत चिन्ता हो रही है। मुझे आपकी मदद की ज़रूरत है। मुझे क्षमा करें क्योंकि मैं ने आपसे ज़्यादा मज़बूती से अपने भय को पकड़ रखा था। मैं आपकी नज़दीकी को चाहता हूं और अपनी चिन्ता को आपको देता हूं। प्रभु मेरी प्रार्थना है कि इस बोझ को आप उठा लें। मैं आपके पुत्र द्वारा क्रूस पर पूरे किये गये कार्य के लिए आपका धन्यवाद देता हूं जिसके साथ मेरी सारी चिन्ताएं हमेशा हमेशा के लिए ठोक दी गयी हैं। मुझे आजादी के साथ उस जीवन का आनन्द उठाने में सहायता करें जो आपने मुझे दिया है। 


यीशु के नाम में, आमीन। 


दिन 2

इस योजना के बारें में

चिन्ता को उसी के रचे खेल में हराना

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए We Are Zion को धन्यवाद देना चाहेंगे। ज्यादा जानकारी के लिये पधारें: https://www.wearezion.co/bible-plan

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