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परमेश्वर की सामर्थ और उपस्थिति का अनुभव करना नमूना

परमेश्वर की सामर्थ और उपस्थिति का अनुभव करना

दिन 6 का 10

आपको एक रक्षक की आवश्यकता कब होती है


जर्मनी के महान् बाइबल के विद्वान और सुधारक मार्टिन लूथर ने अपने युग में भ्रष्ट धार्मिक और राजनीतिक प्रणाली को चुनौती देने का साहस किया था। एक विधर्मी के रूप में जला दिए जाने के खतरे के बावजूद भी, लूथर ने बड़े ही साहसिक रूप से धर्मशास्त्र को पढ़ा एवं उसकी शिक्षा दी। उनके लेखन अत्यन्त प्रभावशाली होने के साथ ही उत्तेजक भी थे। धार्मिक संस्थापन के भ्रष्ट अभ्यासों को सार्वजनिक रूप से चुनौती देने और उनका खंडन करने के द्वारा, वे स्वयं को जाँच के अधीन ले आए जिसका परिणाम उनको प्राणदंड दिया जाना हो सकता था।  


तौभी 1521 में जब लूथर को सम्राट चार्ल्स पंचम के सम्मुख बुलाया गया और उस समय पर उनको कीड़ों का दिया जाता था, तो लूथर ने दृढ़तापूर्वक खड़े होकर अपनी बातों से फिर जाने से इन्कार कर दिया। जिस समय उनको अधिकारियों के पहरे में ले जाया जा रहा था, तो उनके अनुयायियों का एक दल हमलावरों का भेष धारण करके घोड़ों पर सवार होकर आया और उनको उठाकर एक जर्मनी के किले में ले गया जहाँ दो वर्षों तक उनकी सारी आवश्यकताओं का प्रबन्ध किया गया। लूथर के जीवन के एक घोर अंधकार से भरे समय के दौरान, परमेश्वर ने वास्तव में एक सामर्थी गढ़ का प्रबन्ध किया, जिसमें लगातार आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ शत्रुओं के मध्य में आनन्द, और आँधी के मध्य में शान्ति भी थी।


परमेश्वर हमेशा ही इस प्रकार से छुड़ाए जाने का प्रावधान नहीं करता है। जब मेरी माँ अस्पताल में थी उस समय पर वह हमारे साथ था, परन्तु तब पर भी वह मर गई। कभी-कभी परमेश्वर अपने लोगों को कबर के जोखिम के रूप में भय से मुक्ति प्रदान करता है, परन्तु उनको उससे बचाता नहीं है। प्रेरितों के काम की पुस्तक में स्तिफनुस के साथ यही हुआ था। उसने साहसपूर्ण रूप से उन धार्मिक अगुवों को चुनौती दी जो उस पर ईशनिन्दा का झूठा आरोप लगा रहे थे, परन्तु उसकी शक्तिशाली गवाही के बावजूद भी परमेश्वर ने बुरे लोगों की मंशाओं को पूरा होने दिया (प्रेरितों 7:59-60)। तौभी वह वहाँ पर सामर्थ्य प्रदान करने के लिए और अनन्त उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उपस्थित था।


 परमेश्वर की सुरक्षा केवल उन आत्मिक “बाहुबलियों” के लिए नहीं है जिनके विषय में हम धर्मशास्त्र और इतिहास में पढ़ते हैं। ये साधारण लोग ही थे जिन्होंने परमेश्वर के वचन के अनुसार उस पर भरोसा करना और उसे प्रतिक्रिया देना सीखा था। बल्कि, हम में से अधिकतर भरोसा करना इस कारण से नहीं सीखते हैं क्योंकि हम कुलीन हैं, बहादुर हैं, ईश्वरपरायण हैं, या यह सभी बातें एक साथ हम में पाई जाती हैं, परन्तु इसलिए क्योंकि हमारे पास अन्य कोई चुनाव नहीं है। आपकी परमेश्वर का अनुभव करने की अति सम्भावना तब ही होती है जब आपको उसकी अत्यन्त आवश्यकता होती है। आपके घोर अंधकार के समय में, वह आपका सामर्थी गढ़ और आपका सबसे बड़ा बल ठहरेगा।

पवित्र शास्त्र

दिन 5दिन 7

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परमेश्वर की सामर्थ और उपस्थिति का अनुभव करना

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए एज पर लिविंग को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://livingontheedge.org/

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