योजना की जानकारी

बदलाव लाने के लिए बदल जायें नमूना

बदलाव लाने के लिए बदल जायें

दिन 2 का 3

परमेश्वर के आत्मा के साथ प्रचार और शिक्षा  


“मेरे विचार में मेरा परमेश्वर आपकी निरंतर चिंता करता है -----मसीह की गवाही तुम में पक्की निकली..” (4-6 पद)  


हम इस पद से देख सकते हैं, कि पौलुस का मिशन उसके व्यक्तिगत बदलाव के साथ मात्र ख़त्म नहीं हुआ , लेकिन यह आगे अन्य लोगों को आत्मिक पोषण और बल प्रदान करता है| पौलुस परमेश्वर के द्वारा दिए अनुग्रह का ऋणी था| उसके द्वारा हमें पता चला कि परमेश्वर के उद्धार का सन्देश हमारे अंदर बदलाव लाता है, हमारे अंदरूनी मनुष्यत्व को प्रेरित करता है और हमारे ह्रदय को सामर्थ प्रदान करता है| पौलुस यह भी दोहराता है कि संदेश महत्वपूर्ण है न कि संदेशवाहक और परमेश्वर के सन्देश में ही वर्त्तमान और भविष्य का प्रकाशन है| जो संदेश हमने पाया है वो कोई दर्शनशास्त्र नहीं पर एक व्यक्ति है जो आदि से अंत तक पवित्र वचन का मुख्य  आधार है|           


विश्वास का बीज बोये और बाकी परमेश्वर के भरोसे छोड़ दें|


1 कुरिन्थियों 2:14 “शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता..” (पद 14) 


हम यह सच्चाई  समझ गए हैं कि जब हम सुसमाचार ग्रहण करते हैं, उसकी प्रतिक्रिया और परिणाम केवल परमेश्वर के सामर्थ  पर निर्भर करता है - क्योंकि क्रूस का संदेश दुष्टों के लिए मूर्खता की बात है, लेकिन बचाये हुओ के लिए सामर्थ का स्रोत है| सो, जब हम सुसमाचार का सन्देश बांटते हैं, तब उसके परिणाम को परमेश्वर के ऊपर छोड़ना सबसे उत्तम है| वे अपनी योजनाओं को अपने चुने हुओं पर प्रकट करते हैं| हम परमेश्वर के उद्देश्यों को परमेश्वर के आत्मा द्वारा जान सकते हैं जो हमारे अन्दर कार्य कर रहा है | परमेश्वर का वचन और परमेश्वर का आत्मा परमेश्वर की सच्चाई को हमारे सामने प्रकाशित करते हैं| परमेश्वर के आत्मा के बिना, कोई भी यीशु मसीह को प्रभु नहीं कह सकता| समझ का वरदान परमेश्वर के  आत्मा से आता है, जो बदले में हमें  परमेश्वर के मन की बात बताता है|        


जो बोलते हो, उस पर चलो 


परमेश्वर के वचन को ग्रहण करके  उसका प्रचार करें ,परमेश्वर के पवित्र जन की तरह जीवन बिताएं  जो परमेश्वर के वचन द्वारा पोषण पाते हैं और पवित्र जीवन जीते हैं| इस बात को ध्यान में रखते हुए कि हम परमेश्वर के मंदिर है, सो अपने जीवन में झगड़ा, जलन और कोई भी मूर्ति से दूर रहें| परमेश्वर के सेवक के समान , लोगों को अपनी गवाही द्वारा परमेश्वर में लाये| केवल अपने हिस्से के विश्वास के बीज को बोने और पानी देने में अपना ध्यान लगाये, लेकिन बाक़ी  सब कुछ परमेश्वर के भरोसे छोड़ दें| क्योंकि समूह का कार्य हमेशा परमेश्वर के राज्य में सफल होता है| परमेश्वर हर कार्य के परिणाम को प्रकट और प्रकाशित करते है| परखे गए कार्य को निश्चय ही इनाम मिलेगा| सो हताश निराश न हों,जब परीक्षा का सामना करना पड़े ,लेकिन यह याद रखें कि यदि  हम परीक्षा में धीरज रखेंगे तो हम आशीषित होंगे|                 

दिन 1दिन 3

इस योजना के बारें में

बदलाव लाने के लिए बदल जायें

परमेश्वर की बुलाहट, और हमारे लिए उनके उद्देश्य को समझने का अनुभव| गवाही से भरा जीवन जीना, दूसरों को उनके उद्धार भरे अनुग्रह के बारे में बताना| वर्तमान समय को भविष्य की आशा से जीतना| परमेश्वर के द्वारा चुने एक पात्र के ...

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए सी जेबराज को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: http://jebaraj1.blogspot.com/

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