योजना की जानकारी

मसीहा याीशु में नया जीवननमूना

New Life In Christ

दिन 4 का 4

मैं अपना नया जीवन कैसे जीऊँ



आज, हम कुलुस्सियों 3:17 (BSI) से प्रेरित पौलुस के एक सामर्थी उपदेश के साथ अपनी 4-दिवसीय योजना को समाप्त करेंगे — और आप जो कुछ भी करते हैं, चाहे वचन से या काम से, वह सब प्रभु यीशु मसीह के नाम से, उसके द्वारा परमेश्वर को धन्यवाद देते हुए करें। 



द पैशन ट्रांसलेशन (टीपीटी) में इसे इस प्रकार लिखा गया है: “अपने जीवन की प्रत्येक गतिविधि और अपनेहोठों से निकलने वाले प्रत्येक शब्द को हमारे प्रभु यीशु, अर्थात् अभिषिक्त जन की सुन्दरता में भीग जाने दो। और जो कुछ मसीह ने तुम्हारे लिये किया है उसके कारण परमेश्वर पिता की निरन्तर स्तुति करते रहो!”



बहुत खूब! यह बहुत बड़ा आदेश है, है न? यह सोचना थोड़ा अवास्तविक लगता है कि हम जो कुछ भी कहेंगे और करेंगे वह यीशु के नाम पर होगा। और क्या निरन्तर प्रशंसा और आभार व्यक्त करना सम्भव है भी कि नहीं? 



सब और हरजैसे विस्तृत शब्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, आइए अपनी मानसिकता में बदलाव करें। यदि हम इस बारे में न सोचें कि हम क्या नहीं कह सकते या क्या नहीं कर सकते हैं बल्कि हम अपने मार्गदर्शन में सहायता करने के लिए कुछ पैमाने स्थापित कर लें, तो क्या होगा? और चूँकि हम इन दैनिक बातों के प्रति सचेत रहते हैं, हम उन्हें परमेश्वर के नाम से करके उसका आदर करते हैं। हमें स्वयं से पूछना चाहिए...




  • क्या मेरे शब्द दूसरों को बढ़ाते हैं या उनके मन को ठेस पहुँचाते हैं?

  • क्या मैं तब सेवा करता हूँ जब मुझे कोई आवश्यकता दिखती है या मुझे लगता है कि यह मेरे अधीन है?

  • क्या मैं दूसरों के प्रति दयालु हूँ या मुझे परवाह नहीं है?

  • क्या मैं तब भी क्षमा कर देता हूँ जब मेरा मन नहीं होता?

  • क्या मैं लोगों से तब भी प्रेम करता हूँ जब ऐसा करना एक चुनौती होता है?

  • क्या मैं तब भी दयालु होता हूँ जब दूसरे मेरे प्रति दयालु नहीं होते हैं?

  • जब कठोर होना आसान होता है तो क्या मैं कोमल होता हूँ?


इसका मतलब यह नहीं कि हम गलतियाँ नहीं करेंगे। हम करेंगे। और अक्सर, हमारे सम्बन्धों का मलबा हमारे पीछे रह ही जाएगा। परन्तु, आशा यह है कि हमारे वचन और काम हमारे जीवन में मसीह के कार्य के अधिकार के अनुरूप होने लगेंगे। अर्थात् हम जो कुछ भी करते और कहते हैं सब कुछ यीशु के नाम से विचार करते हुए करेंगे।



तो आइए करुणा, दया, धीरज, कोमलता, नम्रता, क्षमा और प्रेम का बीज बोकर उस कचरे को जड़ से उखाड़ फेंकें जिसने हमें इतने लम्बे समय तक बंधक बनाए रखा है। आइए रोष, क्रोध और द्वेष को उतार फेंकें जो हमारे मनों को दूषित करते हैं और उन बातों को पहन लें जिन्हें परमेश्वर हमसे चाहता है। 



और जब हम ये चुनाव करते हैं, तो आइए परमेश्वर से हमारे भीतर ऐसे मनविकसित करने के लिए कहें जो हमारे लिए किए गए उसके सभी कार्यों के प्रति आभार से भरे हों। जिन लोगों का जीवन आभार से भरा होता है, उन्हें कभी न बुझने वाला आनन्द मिलता है, जो उनके मार्ग में आने वालों में फैल जाता है।



चिन्तन करें




  • क्या आप दूसरों के साथ इस समझ के साथ बातचीत करते हैं कि परमेश्वर आपके प्रति कितना भला है?

  • जब आप आगे बढ़ते हैं, हर सुबह परमेश्वर से यह प्रार्थना करते हुए समय बिताएँ कि वह आपको यह देखने की आँखें दें कि आप अपने दैनिक सम्बन्धों में इन सद्गुणों को कहाँ पर जी सकते हैं।

कैसे?

पवित्र शास्त्र

दिन 3

इस योजना के बारें में

New Life In Christ

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