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अनमोल समय...अनंतता के महत्वपूर्ण पलनमूना

अनमोल समय...अनंतता के महत्वपूर्ण पल

दिन 9 का 20

  क्या परमेश्वर अपना मन बदलता है?


क्या ही विचित्र सवाल है? क्या परमेष्वर अपना मन बदलता है? आप इस सवाल का जवाब कैसे देंगे? हम में से अधिकतर इस बात पर जोर देते हुए कहंगे, ‘‘परमेश्वर कल, आज और हमेशा  एक सा है। वह अपने मन को नहीं बदलता। जो वह कहता, उसे पूरा करता है।’ लेकिन ऐसा लगता है कि हिजिकिय्याह के मामले में परमेश्वर ने अपने मन को बदला था।


यशायाह भविष्यद्वक्ता राजा हिजिकिय्याह के पास और परमेश्वर से प्राप्त एक संदेश के साथ पहुंचता है, और कहता है कि अपने घर के विषय में जो आज्ञा देनी हो, वह दे क्योंकि तू नहीं बचेगा, मर जाएगा। यह सुनकर हिजिकिय्याह ने गिड़गिड़ाते हुए, जोर से रोते हुए प्रार्थना के साथ प्रतिक्रिया की, और परमेश्वर को याद दिलाया कि वह किस तरह से सच्चाई में चला और जो परमेश्वर की दृष्टि में सही था, वही काम किए थे। यशायाह अभी तक वहां से नहीं लौटा था, जबकि वह फिर से राजा के पास आकर कहता है कि परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना सुन ली है, उसके आंसु देखे हैं और उसके जीवन में पंद्रह साल और बढ़ा दिए हैं।


हिजिकिय्याह के परिवर्तित हृदय को देखकर परमेश्वर ने अपना मन बदल दिया। हम, अक्सर, ऐसी घटनाओं को बाइबल में देखते हैं; लोगों ने अपनी दुष्टता के कारण आने वाली विपत्ति को सुनकर अपने मन को परिवर्तित किया और परमेश्वर ने अपनी करूणा और प्रेम के कारण, उन्हें माफ कर दिया। जब नीनवे के लोगों ने सुना कि उनका नगर उलट दिया जाएगा, तब उन्होंने एक उपवास की घोषणा  की, परमेश्वर को पुकारा और अपने बुरे मार्गों से मुड़ गए। आखिरकार, जब परमेश्वर ने उनके कामों को देखा, कि वे कुमार्ग से फिर रहे हैं, तब परमेश्वर ने अपनी इच्छा बदल दी, और उनकी जो हानि करने की ठानी थी, उसको न किया (योना 3:10)। 


क्या आप परमेश्वर से इतने दूर चले गए हो कि आप सोचते हो कि वह अब कभी आप पर अनुग्रह नहीं कर सकता? प्रियों, यीशु ने आपके पापों की सज़ा अपने ऊपर ली ताकि आप परमेश्वर की महान करूणा और माफी को अनुभव कर सको। उसकी पास लौट आओ। आप इस बात से निश्चित रह सकते हो कि, यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। (1 यूहन्ना 1:9)। वह धर्मी, विश्वासयोग्य, करूणामय, प्यार और तरस से भरा है। वह कभी भी किसी हानि या विपत्ति को भेजने में प्रसन्न नहीं होता, बल्कि अपनी करूणा को दिखाने में आनंदित होता है।


प्रार्थना


स्वर्गीय पिता, कृपया मेरे पापों (नाम लें) से मुझे माफ कर दीजिए। मैं हर बुराई और दुष्टता के मार्गं से मन फिराता हूं। मैं आपकी करूणा और अनुग्रह को स्वीकार करता हूं, और विश्वास करता हूं कि आप मुझे अपने नाम के निमित धार्मिकता के मार्ग में मेरी अगुवाई करेंगे। यीशु के नाम में, आमीन्।

पवित्र शास्त्र

दिन 8दिन 10

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अनमोल समय...अनंतता के महत्वपूर्ण पल

प्रतिदिन के मनन को पढ़िए और पवित्रशास्त्र की आयतों का मनन कीजिए। एक जीवन परिवर्तित करने वाली गवाही या परमेश्वर के अलौकिक सामर्थ के प्रदर्शन को पढ़ने के बाद कुछ समय के लिए रूकें। अंत में दी गई प्रार्थना या घोषणा के अर्थ को ...

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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए न्यू लाइफ चर्च - बांद्रा को धन्यवाद देना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें:
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