योजना की जानकारी

उत्तरदायित्वनमूना

उत्तरदायित्व

दिन 1 का 7

परमेश्वर को उत्तरदायी – कौन मेरे जीवन का मालिक है?  


स्वभाव से ही मनुष्य को उत्तरदायी होना पसंद नहीं है| कैरियर के बारे में परामर्श और दिशानिर्देश शिक्षण-सत्र के दौरान, मैं कई युवाओं से मिलता हूँ| हम इस प्रश्न पर चर्चा करते हैं कि वे आगे अपने जीवन में क्या करना चाहेंगे| कई युवा मुझे बताते हैं कि वे अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं| जब मैं उनसे पूछता हूँ क्यों, वे कहते है क्योंकि वे खुद अपना मालिक बनना चाहते हैं| ऐसा लगता है कि मनुष्य स्वभाव से ही किसी को हिसाब देने की ज़िम्मेदारी को पसंद नहीं करता| 


परमेश्वर में उत्तरदायी बनने के लिए, सबसे पहली ज़रुरत है कि हम यीशु की प्रभुता को अपने जीवन में स्वीकार करें| एक बार मुझे प्रभु के सेवक ने बताया कि तीन तरह के परिवार उन्हें अपने घर में स्वागत करते हैं| एक परिवार उन्हें एक कमरा देता है और कहता है की आराम से रहें| दूसरा उन्हें कहता है कि वे सामान्य जगह और सुविधा का भी प्रयोग कर सकते हैं| तीसरा परिवार, पूरा घर उनके लिए खोल देता है और आराम से रहने को कहता है| इसी प्रकार का असीमित प्रयोग का अधिकार हमें यीशु को अपने जीवन में देना होगा ताकि हम उत्तरदायी बन सकें| 


हम किसके प्रति उत्तरदायी हैं? बाइबल कहती है कि हम अपने  द्वारा बोले प्रत्येक वचन के प्रति परमेश्वर को उत्तरदायी है (मत्ती 12:36)| एक मसीही प्रबंधक के रूप में, हम अपने कार्यस्थल में, उन लोगों के प्रति उत्तरदायी है जिन्हें प्रभु ने हमारे अधीन रखा है| माता-पिता और पति/पत्नी के रूप में हम अपने परिवार के प्रति परमेश्वर के सामने उत्तरदायी हैं| हम उन लोगों के प्रति उत्तरदायी है जिनसे हम बात करते हैं, सो वे यीशु के प्यार को हम में देख सकें| 


परमेश्वर में, हमें यह मालूम होना चाहिए कि परमेश्वर के सामने हमारा जीवन छिपा हुआ नहीं है| वो हमारे पूरे जीवन को जैसा है वैसे देख सकता है| कई बार हम इस बात को समझने में भूल कर देते हैं| हम अपने जीवन के बस उन्हीं बातों के प्रति हिसाब देने की कोशिश करते हैं जिसके प्रति हम सहज महसुस करते हैं, लेकिन उन बातोँ के प्रति नहीं जो मुश्किल है| जब हम धीरे-धीरे सभी क्षेत्रों को मसीही के अधीन लाते हैं तब हमारा उत्तरदायी बनना आसान और बेहतर हो जाता है| 


आज के दिन के लिए विचार: 


परमेश्वर के अधिकार के अधीन होना मसीह में स्वतंत्रता की कुंजी है और हम उसके लिए क्या उपलब्धि प्राप्त कर सकते हैं| 


प्रार्थना: 


प्रभु यीशु, मैं अपने जीवन के हर क्षेत्र को आपके हाथों में समर्पित करता हूँ| इस संसार में आपके संतान के रूप में मुझे मेरी ज़िम्मेदारी के प्रति जागरूक कीजिये ताकि मैं आपकी महिमा को प्रकट कर सकूं| आमीन| 



दिन 2

इस योजना के बारें में

उत्तरदायित्व

मनुष्य होने के नाते और खासतौर पर मसीही होने के नाते, कई स्त्तर पर अपने परिवार, दोस्त, मालिक और कार्यस्थल के लोगों के प्रति परमेश्वर को जवाब देने की ज़िम्मेदारी हम पर है| मनुष्य स्वभाव से ही किसी के प्रति उत्तरदायी होना पस...

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हम इस योजना को उपलब्ध कराने के लिए विक्टर जयकरन का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें:
http://victorjayakaran.blogspot.in/

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