शोक-गीत 2

2
स्‍वयं प्रभु ने सियोन को दु:ख दिया है
1प्रभु ने सियोन की पुत्री को
अपने प्रकोप के मेघों से ढक दिया!
उसने इस्राएल के वैभव को
आकाश से पृथ्‍वी पर फेंक दिया!
उसने अपने प्रकोप-दिवस पर
अपने चरणों की चौकी को स्‍मरण न रखा।#1 इत 28:2
2स्‍वामी ने निर्दयतापूर्वक
याकूब राष्‍ट्र की सब बस्‍तियों को
नष्‍ट कर दिया;
उसने अपने क्रोध से
यहूदा की पुत्री के गढ़ों को ध्‍वस्‍त कर दिया।
उसने राज्‍य और उसके शासकों को
अपमानित कर धूल-धूसरित कर दिया।
3प्रभु ने अपनी क्रोधाग्‍नि में
इस्राएल राष्‍ट्र की शक्‍ति के प्रतीक
सींग को काट दिया,
उसने शत्रु के आक्रमण के समय अपना दाहिना
हाथ इस्राएली सेना से खींच लिया।
उसने याकूब राष्‍ट्र में अग्‍नि प्रज्‍वलित की,
जिसने चारों ओर सब को भस्‍म कर दिया।
4उसने शत्रु के सदृश धनुष चढ़ाया;
उसने बैरी के समान हाथ बढ़ाया;
और सियोन की पुत्री के तम्‍बू में
हमारी आंखों में प्रिय लोगों को मार डाला।
उसने अग्‍नि के सदृश
अपने क्रोध की मदिरा उण्‍डेल दी।
5स्‍वामी हमारा शत्रु बन गया;
उसने इस्राएल राष्‍ट्र को नष्‍ट कर दिया।
उसने इस्राएल के सब महलों को ध्‍वस्‍त कर दिया,
उसके गढ़ों को खण्‍डहर बना दिया।
उसने यहूदा की पुत्री के घर-घर में विलाप
और रोना-पीटना मचवा दिया।
6उसने अपना मन्‍दिर
उद्यान के मचान की तरह अचानक गिरा दिया;
अपने निर्धारित पर्वों के पवित्र स्‍थान को
खण्‍डहर बना दिया।
प्रभु ने सियोन में निर्धारित पर्व और विश्राम-
दिवस समाप्‍त कर दिए;
उसने अत्‍यन्‍त क्रुद्ध हो
राजा और पुरोहित दोनों को त्‍याग दिया।
7स्‍वामी ने अपनी वेदी त्‍याग दी;
उसने अपना पवित्र स्‍थान छोड़ दिया।
उसने सियोन के भवनों की दीवारें
शत्रु के हाथ में सौंप दीं।
जैसे निर्धारित पर्व के दिवस पर
प्रभु के मन्‍दिर में कोलाहल होता है
वैसे ही शत्रुओं ने कोलाहल मचाया।#यहेज 24:21
8प्रभु ने यह निश्‍चय किया था
कि वह सियोन की पुत्री की शहरपनाह ढाह देगा;
उसने साहुल से नापकर निशान लगाए;
उसने विनाश करने के लिए अपना हाथ
बढ़ाया,
और उसको नहीं रोका।
उसने परकोटा और शहरपनाह को रुला दिया,
दोनों एक-साथ जर्जर हो गए। #यश 34:11
9उसके प्रवेश-द्वार भूमि में धंस गए;
प्रभु ने उसकी अर्गलाएँ टुकड़े-टुकड़े कर दीं।
उसका राजा और प्रशासक विदेशी राष्‍ट्रों में
निर्वासित हैं।
व्‍यवस्‍था की मान्‍यता नहीं रहीं;
नबियों को प्रभु की ओर से दर्शन नहीं
मिलता।#2 रा 25:7; भज 74:9
10सियोन की पुत्री के धर्मवृद्ध
निराशा में डूबे भूमि पर बैठे हैं।
उन्‍होंने पश्‍चात्ताप प्रकट करने के लिए
अपने-अपने सिर पर राख डाली है,
और टाट का वस्‍त्र पहिना है।
यरूशलेम की कन्‍याएँ भूमि की ओर
सिर झुकाकर विलाप कर रही हैं।
11रोते-रोते मेरी आंखें धुंधली पड़ गईं;
मेरी अंतड़ियाँ ऐंठ रही हैं;
मेरा कलेजा मुंह को आ रहा है;
क्‍योंकि मेरे लोगों की नगरी का सर्वनाश हो गया;
शिशु और बच्‍चे नगर के चौराहों पर मूर्च्‍छित पड़े हैं।
12बालक अपनी-अपनी मां से पूछते हैं,
‘रोटी और अंगूर-रस कहाँ है?’
वे घायलों की तरह मूर्च्‍छित होकर
नगर के चौराहों पर गिर जाते हैं,
वे अपनी मांओं की गोद में प्राण त्‍याग देते हैं।
13ओ यरूशलेम की पुत्री!
मैं तेरे विषय में क्‍या कहूं?
मैं तेरी तुलना किससे करूं?
ओ सियोन की कुंआरी कन्‍या,
तुझे धैर्य बंधाने के लिए
मैं तेरी समता किससे करूं?
तेरा दु:ख सागर के सदृश अपार है;
कौन तुझे तेरे दु:ख से उबार सकता है?
14जो दर्शन तेरे नबियों ने तेरे लिए देखे थे,
वे सफेद झूठ थे।
उन्‍होंने तेरा अधर्म तुझ पर प्रकट नहीं किया,
अन्‍यथा तू बन्‍दिगी बनकर निर्वासित न होती।
तेरे नबियों ने तेरे लिए ऐसी नबुवतें कीं,
जो झूठी और भ्रामक थीं।#यहेज 13:10
15मार्ग से गुजरनेवाले तुझे देखकर ताली
बजाते हैं।
वे यरूशलेम कि पुत्री को देखकर
छी-छी करते और मुंह बनाकर यह कहते
हैं : ‘क्‍या यह वही नगरी है, जिसको
“विश्‍व का आनन्‍द” , “परम-सुन्‍दरी”
कहा जाता था?”
16ओ यरूशलेम!
तेरे सब शत्रु तेरे विरुद्ध मुंह बनाते हैं,
वे छी-छी करते और दांत पीसते हैं।
वे पुकारकर कहते हैं, ‘हमने उसको बर्बाद कर दिया।
हम इसी दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे।
वह हमें मिल गया! हमने उसको देख लिया।’
17जो प्रभु ने निश्‍चय किया था,
उसने उसको पूरा किया,
उसने अपनी धमकी पूरी की।
जैसा उसने बहुत पहले आदेश दिया था,
उस वचन के अनुसार उसने कार्य किया।
उसने निर्दयतापूर्वक नगर का विध्‍वन्‍स कर दिया।
ओ यरूशलेम! उसने तेरे शत्रुओं को
तुझ पर हंसने और आनन्‍द मनाने का
अवसर प्रदान किया;
तेरे बैरियों की शक्‍ति को बढ़ाया।
18ओ सियोन की पुत्री,
उच्‍च स्‍वर में स्‍वामी को पुकार;
तेरी आंखों से रात और दिन
आंसू की जलधाराएं बहें!
तू निरन्‍तर पुकारती रह, और चुप न रह;
तेरी आंखों से आंसू बहते रहें,
और वे बन्‍द न हों!#यिर 14:17
19रात के हर पहर के आरम्‍भ में
तू उठ, और प्रभु को पुकार,
स्‍वामी के सम्‍मुख
जल के सदृश अपना हृदय उण्‍डेल।
अपने बच्‍चों की प्राण-रक्षा के लिए
जो गलियों के नुक्‍कड़ पर
भूख से मूर्च्छित पड़े हैं,
प्रभु की ओर हाथ फैला।#यश 51:20
20‘हे प्रभु, देख और ध्‍यान दे!
तूने ऐसा व्‍यवहार किसके साथ किया है?
भूख के कारण मांओं को अपने बच्‍चे खाने पड़े,
जो उन्‍हें अपने प्राण से भी अधिक प्रिय थे!
पुरोहित और नबी
तुझ-स्‍वामी के पवित्र-स्‍थान में मार डाले गए।#व्‍य 28:53; 2 रा 6:28-29
21‘सड़कों की धूल में
वृद्धों और बच्‍चों के शव पड़े हैं।
मेरे युवक और युवतियाँ
तलवार से मौत के घाट उतार दिए गए।
प्रभु, तूने अपने प्रकोप-दिवस पर उनका
वध कर दिया;
तूने निर्दयतापूर्वक उनको मार डाला।
22‘जैसे निर्धारित पर्व-दिवस पर चारों ओर
से लोग एकत्र होते हैं,
वैसे ही तूने मुझको आतंकित करनेवालों
को सब ओर से बुलाया।
प्रभु के प्रकोप-दिवस पर
एक भी बचकर भाग न सका,
कोई भी जीवित न रहा।
जिनको मैंने गोद में लिया था,
जिनका मैंने लालन-पालन किया था,
उनको मेरे शत्रु ने खत्‍म कर दिया।’#आमो 5:18-20

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