1 योहन 5

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विश्‍वास द्वारा संसार पर विजय
1जो कोई विश्‍वास करता है कि येशु ही मसीह हैं, वह परमेश्‍वर से उत्‍पन्न हुआ है और जो कोई जन्‍मदाता से प्रेम करता है, वह उसकी संतान से भी प्रेम करता है।#1 यो 4:15-16; 1 पत 1:22-23 2इसलिए यदि हम परमेश्‍वर से प्रेम करते हैं और उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं, तो हम सचमुच परमेश्‍वर की संतान से प्रेम करते हैं।
3क्‍योंकि परमेश्‍वर का प्रेम यह है कि हम उसकी आज्ञाओं का पालन करें। उसकी आज्ञाएँ भारी नहीं हैं,#यो 14:15,23-24; मत 11:30 4क्‍योंकि जो परमेश्‍वर से उत्‍पन्न हुआ है, वह संसार पर विजय प्राप्‍त करता है। वह विजय, जो संसार को परास्‍त करती है, हमारा विश्‍वास ही है।#यो 16:33 5संसार का विजेता कौन है? केवल वही जो यह विश्‍वास करता है कि येशु परमेश्‍वर के पुत्र हैं।#1 यो 4:4
प्रभु येशु के विषय में साक्षी
6वह येशु मसीह ही हैं जिनका आगमन जल और रक्‍त द्वारा हुआ-न केवल जल में, बल्‍कि जल और रक्‍त में। आत्‍मा इसके विषय में साक्षी देता है, क्‍योंकि आत्‍मा सत्‍य है।#यो 19:34-35
7इस प्रकार ये तीन साक्षी देते हैं − 8आत्‍मा, जल और रक्‍त और तीनों एक ही बात कहते हैं। 9हम मनुष्‍यों की साक्षी स्‍वीकार करते हैं, किन्‍तु परमेश्‍वर की साक्षी निश्‍चय ही कहीं अधिक प्रामाणिक है। उसकी साक्षी यह है कि परमेश्‍वर ने अपने पुत्र के विषय में साक्षी दी है।#यो 5:32,36; 8:18 10जो परमेश्‍वर के पुत्र में विश्‍वास करता है, उसके हृदय में परमेश्‍वर की यह साक्षी विद्यमान है। जो परमेश्‍वर में विश्‍वास नहीं करता, वह उसे झूठा समझता है; क्‍योंकि वह पुत्र के विषय में परमेश्‍वर की साक्षी स्‍वीकार नहीं करता।#रोम 8:16; 1 कुर 15:15 11और वह साक्षी यह है-परमेश्‍वर ने हमें शाश्‍वत जीवन प्रदान किया है और यह जीवन उसके पुत्र में है। 12जिसे पुत्र प्राप्‍त है, उसे वह जीवन प्राप्‍त है और जिसे परमेश्‍वर का पुत्र प्राप्‍त नहीं है, उसे वह जीवन प्राप्‍त नहीं।#यो 3:36
शाश्‍वत जीवन
13तुम सब परमेश्‍वर के पुत्र के नाम में विश्‍वास करते हो। मैं तुम्‍हें यह पत्र लिख रहा हूँ जिससे तुम यह जानो कि तुम्‍हें शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त है।#यो 20:31
14हमें परमेश्‍वर पर यह पूर्ण भरोसा है कि यदि हम उसकी इच्‍छानुसार उस से कुछ भी माँगते हैं, तो वह हमारी सुनता है।#यो 3:21-22; यो 14:13; 16:23 15यदि हम यह जानते हैं कि हम जो भी माँगें, वह हमारी सुनता है, तो हम यह भी जानते हैं कि हमने जो कुछ परमेश्‍वर से माँगा है वह हमें मिल गया है।
16यदि कोई अपने भाई अथवा बहिन को ऐसा पाप करते देखता है जो प्राणघातक न हो#5:16 अथवा, “जिसका परिणाम मृत्‍यु न हो”।, तो वह उसके लिए प्रार्थना करे और परमेश्‍वर उसका जीवन सुरक्षित रखेगा। यह उन लोगों पर लागू है जिनका पाप प्राणघातक नहीं है; क्‍योंकि एक पाप ऐसा भी होता है जो प्राणघातक है। उसके विषय में मैं नहीं कहता कि प्रार्थना करनी चाहिए।#मत 12:31; इब्र 6:4-6 17सब अधर्म पाप है, किन्‍तु ऐसा पाप भी है जो प्राणघातक नहीं है।
18हम जानते हैं कि जो परमेश्‍वर से उत्‍पन्न हुआ है, वह पाप नहीं करता। परमेश्‍वर का पुत्र उसकी रक्षा करता है और दुष्‍ट शैतान उसे स्‍पर्श तक नहीं करने पाता।#1 यो 3:9; यो 17:15 19हम जानते हैं कि हम परमेश्‍वर के हैं, जब कि समस्‍त संसार उस दुष्‍ट के वश में है।#गल 1:4; यो 8:47
20हम जानते हैं कि परमेश्‍वर-पुत्र आया है और उसने हमें सच्‍चे परमेश्‍वर को पहचानने की समझ दी है। हम सच्‍चे परमेश्‍वर में निवास करते हैं; क्‍योंकि हम उसके पुत्र येशु मसीह में निवास करते हैं। यही सच्‍चा परमेश्‍वर और शाश्‍वत जीवन है।#यो 17:3; रोम 9:5 21बच्‍चो! प्रतिमूर्तियों#5:21 अथवा, “प्रतिमाओं, असत्‍य मान्‍यताओं” से अपने को बचाए रखो।#1 कुर 10:14

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