1 योहन 3

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1पिता ने हमसे कितना महान प्रेम किया है। हम परमेश्‍वर की सन्‍तान कहलाते हैं और हम वास्‍तव में वही हैं। संसार हमें नहीं जानता, क्‍योंकि उसने परमेश्‍वर को नहीं जाना है।#1 यो 5:20; यो 1:12-13; 16:3
2प्रियो! अब हम परमेश्‍वर की सन्‍तान हैं, किन्‍तु यह अभी तक प्रकट नहीं हुआ कि हम क्‍या बनेंगे। हम इतना ही जानते कि जब मसीह प्रकट होंगे, तो हम उनके सदृश बन जायेंगे; क्‍योंकि हम उनको वैसा ही देखेंगे जैसा कि वह वास्‍तव में हैं।#1 यो 2:28; रोम 8:17; 2 कुर 3:18; फिल 3:21; कुल 3:4; नि 34:29
3जो कोई मसीह से ऐसी आशा करता है, उसे वैसा ही पवित्र बनना चाहिए, जैसा कि वह पवित्र हैं। 4जो व्यक्‍ति पाप करता है, वह अधर्म का कार्य करता है; क्‍योंकि पाप का अर्थ है अधर्म का साथ देना।#1 यो 5:17; मत 7:23 5तुम जानते हो कि मसीह हमारे पाप हरने के लिए प्रकट हुए। उन में कोई पाप नहीं है।#यश 53:4; 1 पत 2:24 6जो कोई उन में निवास करता है, वह पाप नहीं करता। जो कोई पाप करता है, उसने उन्‍हें नहीं देखा है और वह उन्‍हें नहीं जानता।#रोम 6:14
7बच्‍चो! कोई तुम्‍हें बहकाये नहीं। जो धर्माचरण करता है, वह मसीह की तरह धार्मिक है।#1 यो 2:29 8जो पाप करता है, वह शैतान से है; क्‍योंकि शैतान प्रारम्‍भ से पाप करता आया है। परमेश्‍वर का पुत्र इसीलिए प्रकट हुआ कि वह शैतान के कार्य समाप्‍त कर दे।#यो 8:44
9जो कोई परमेश्‍वर से उत्‍पन्न हुआ है, वह पाप नहीं करता; क्‍योंकि परमेश्‍वर का बीज-रूपी वचन#3:9 मूल में, “बीज” उसमें बना रहता है। वह पाप नहीं कर सकता, क्‍योंकि वह परमेश्‍वर से उत्‍पन्न हुआ है।#1 यो 5:18; 1 पत 1:23; याक 1:18 10परमेश्‍वर की सन्‍तान और शैतान की सन्‍तान की पहचान यह है: जो भी व्यक्‍ति धर्माचरण नहीं करता, वह परमेश्‍वर की सन्‍तान नहीं है और वह भी नहीं, जो अपने भाई अथवा बहिन से प्रेम नहीं करता।
हम एक दूसरे से प्रेम करें
11जो सन्‍देश तुम ने प्रारम्‍भ से सुना है, वह यह है कि हमें एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए।#यो 13:34; 15:12 12हम काइन की तरह नहीं बनें। वह दुष्‍ट की सन्‍तान था और उसने अपने भाई की हत्‍या की। उसने उसकी हत्‍या क्‍यों कर दी? क्‍योंकि उसके अपने कर्म बुरे थे और उसके भाई के कर्म धार्मिक।#उत 4:8; 15:18
13भाइयो और बहिनो! यदि संसार तुम से बैर करे, तो उस पर आश्‍चर्य मत करो।#मत 5:11; यो 18:19 14हम जानते हैं कि हमने मृत्‍यु से निकल कर जीवन में प्रवेश किया है; क्‍योंकि हम अपने भाई-बहिनों से प्रेम करते हैं। जो प्रेम नहीं करता, वह मृत्‍यु में बना रहता है।#1 यो 2:11; यो 5:24 15जो कोई अपने भाई अथवा बहिन से बैर करता है, वह हत्‍यारा है और तुम जानते हो कि किसी भी हत्‍यारे में शाश्‍वत जीवन नहीं होता।#मत 5:21-22; यो 8:44
16हम प्रेम का मर्म इसी से पहचान गये कि येशु ने हमारे लिए अपना प्राण अर्पित किया तो हमें भी अपने भाई-बहिनों के लिए अपना प्राण अर्पित करना चाहिए।#यो 13:1; 15:13; गल 2:20 17किसी के पास संसार की धन-दौलत हो और वह अपने भाई अथवा बहिन को तंगहाली में देख कर उस पर दया न करे#3:17 शब्‍दश:, “उसके प्रति अपना हृदय कठोर कर ले”।, तो परमेश्‍वर का प्रेम उस में कैसे बना रह सकता है?#1 यो 4:20; व्‍य 15:7
18बच्‍चो! हम शब्‍दों और बातों#3:18 शब्‍दश:, “जीभ”। से नहीं, किन्‍तु कामों और सत्‍य द्वारा प्रेम करें।#याक 1:22; 2:15-16 19इसी से हम जान जायेंगे कि हम सत्‍य की सन्‍तान हैं। और जब कभी हमारा अन्‍त:करण हम पर दोष लगायेगा, तो हम परमेश्‍वर के सामने अपने को आश्‍वासन दे सकेंगे; 20क्‍योंकि परमेश्‍वर हमारे अन्‍त:करण से बड़ा है और वह सब कुछ जानता है।
21प्रियो! यदि हमारा अन्‍त:करण हम पर दोष नहीं लगाता है, तो हम परमेश्‍वर पर पूरा भरोसा रख सकते हैं।#रोम 5:1; इब्र 4:16 22हम उस से जो कुछ माँगेंगे, वह हमें वही प्रदान करेगा; क्‍योंकि हम उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं और वही करते हैं, जो उसे अच्‍छा लगता है।#मक 11:24 23और उसकी आज्ञा यह है कि हम उसके पुत्र येशु मसीह के नाम में विश्‍वास करें और एक दूसरे से प्रेम करें, जैसा कि मसीह ने हमें आज्ञा दी है।#यो 6:29; 15:17 24जो परमेश्‍वर की आज्ञाओं का पालन करता है, वह परमेश्‍वर में निवास करता है और परमेश्‍वर उस में। और हम जानते हैं कि वह हम में निवास करता है, क्‍योंकि उसने हम को अपना आत्‍मा प्रदान किया है।#1 यो 4:13; रोम 8:9

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